जबलपुर। मध्य प्रदेश त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम पंचायत के सरपंच सहित अन्य पदों पर निर्विरोध निर्वाचन को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करके चुनाव आयोग से पूछा है कि, निर्विरोध निर्वाचन में क्या आपत्ति है। बिना किसी ठोस आधार के निर्विरोध निर्वाचन को निरस्त कैसे किया।
प्रशासनिक न्यायमूर्ति शील नागू व न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता गोविंद साहू (निवासी सिवनी धूमा) की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, आशीष कुमार तिवारी, अरविंद सिंह चौहान व जयंत पटेल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत निर्वाचन की प्रक्रिया को बीच में ही निरस्त कर दिया था। इससे पूर्व सिवनी जिले की ग्राम पंचायत धूमा निवासी याचिकाकर्ता अनारक्षित वार्ड क्रमांक 17 से पंच पद पर निर्विरोध निर्वाचित हो चुका था। महज औपचारिक घोषणा शेष रह गई थी।
दरअसल, राज्य निवार्चन आयोग ने राज्य शासन द्वारा परिसीमन व आरक्षण संबंधी अध्यादेश वापस लेने के परिप्रेक्ष्य में यह कारण इंगित करते हुए कि परिसीमन व आरक्षण का स्टेटस नहीं रहा, जिसके आधार पर निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार निर्विरोध निर्वाचन को प्रभावित करने की राज्य निर्वाचन आयोग को कोई अधिकारिता नहीं थी। लिहाजा, इस रवैये को चुनाव याचिका के जरिये चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर जवाब मांग लिया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.