MP TET VARG 3 TOPIC- पार्ट-2, बालकों का मानसिक स्वास्थ्य

Bhopal Samachar

Mental Health of Children part-2

सिगमंड फ्रायड (Sigmond Freud) ने "मन की तुलना समुद्र में तैरते हुए बर्फ के टुकड़े से की है", जिस तरह समुद्र में बर्फ का केवल दसवां भाग ही दिखाई देता है क्योंकि बाकी का भाग जल के अंदर रहता है। उसी तरह हमारे मन का केवल दसवां भाग चेतन (Conscious) कहलाता है और बाकी का भाग अवचेतन (Unconscious) होता है और कभी-कभी जब बर्फ का टुकड़ा उल्टा हो जाता है तो पानी के अंदर वाला भाग ऊपर आ जाता है, ठीक इसी प्रकार कोई मनुष्य या बच्चा जब आंतरिक मानसिक अंतर्द्वंद (Mental Conflict) का शिकार होता है तब उसके अवचेतन मन का कुछ भाग ऊपर चेतना में आ जाता है। जो कि मानसिक अस्वस्थता (Mental Illness) के रूप में दिखाई देता है। 

मानसिक अस्वस्थता के कारण/ Reasons of mental illness

वे सभी कारक कारक जो किसी बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं जैसे- अनुवांशिकता, वातावरण, सामाजिक- आर्थिक स्थिति, शारीरिक अवस्था, संवेगात्मक अवस्था, पारिवारिक  वातावरण, विद्यालय का वातावरण, शिक्षक का व्यवहार आदि ये सभी कारक मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

1) परिवार संबंधी कारणों में मुख्य रूप से परिवार का वातावरण, गरीबी, कठोर अनुशासन,  परिवार के सदस्यों के लड़ाई- झगड़े, माता-पिता की शिक्षा आदि हैं। 

2) विद्यालय संबंधी कारणों में विद्यालय का वातावरण, कक्षा का वातावरण, अनुपयुक्त पाठ्यक्रम, दोषपूर्ण शिक्षण विधियां, अध्यापक का व्यक्तित्व, मित्रों का व्यवहार आदि प्रमुख हैं। 

विद्यालय, शिक्षक और मानसिक स्वास्थ्य/  School, Teacher and Mental Health

शिक्षा शास्त्रियों का मानना है कि घर के बाद  विद्यालय या स्कूल ही वह जगह है, जहां बच्चे सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, इसलिए शिक्षक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। स्कूलों द्वारा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने के लिए कई प्रकार की विधियां अपनाई जानी चाहिए।
 
ऐसा आम तौर पर कहा जाता है कि बच्चे अपने बराबर के बच्चों के बीच बहुत जल्दी सीखते हैं। इसीलिए विद्यालय उन्हें एक ऐसा वातावरण उपलब्ध कराता है जहां बच्चे अपने हम उम्र बच्चों (Peer Group) के साथ सीख सकते हैं। बच्चे अपने दोस्तों को अपनी सभी समस्याएं आसानी से बता पाते हैं और ऐसे में शिक्षक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारी रखने वाला अध्यापक बच्चों में पाई जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगा लेगा और उनका उचित उपचार भी किया जा सकेगा। इसलिए एक योग्य अध्यापक का कार्य है कि वह बच्चों में पाई जाने वाली किसी भी किसी भी किसी भी प्रकार की मानासिक अस्वास्थ्ता का पता लगाकर उसका निदानात्मक उपचार भी करें। 

अध्यापक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन होने से बच्चों को क्या लाभ होगा 

अध्यापक और मनोचिकित्सक (Teacher and Psychiatric) एक ही समस्या को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं।  एक शर्मिला और डरपोक बालक अध्यापक के लिए कोई समस्या नहीं खड़ी करता इसलिए उस पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और जो बालक लड़ाई-झगड़ा करता है उसकी ओर अधिक ध्यान दिया जाता है परंतु मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान जानता है कि लड़ने-झगड़ने वाले बालक को तो जल्दी ठीक किया जा सकता है परंतु जो बालक शर्मिला और डरपोक है उसके ठीक होने में काफी देर लग सकती है। 

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अध्ययन से अध्यापक को एक नवीन दृष्टिकोण प्राप्त हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारी रखने वाला अध्यापक जिन बच्चों का उपचार स्वयं नहीं कर सकता वह उन्हें किसी मनोचिकित्सक के पास अथवा किसी और उपचारआलय में भेज सकता है, इससे बहुत से बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.

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