Individual differences in learners, understanding of differences on the basis of of Cast,Sex, Religion
अधिगम का अर्थ होता है, सीखना या लर्निंग यह एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति परिपक्वता की ओर बढ़ते हुए तथा अपने अनुभवों का लाभ उठाते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन तथा परिमार्जन करता है।
जैसा की हम जानते हैं की बाल विकास के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक बच्चे में वैयक्तिक भिन्नता (Individual Differences) पाई जाती हैं जो कि शारीरिक, मानसिक, सांवैगिक, सामाजिक, जैविक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि प्रकार की हो सकती हैं। इसी कारण अलग-अलग वैयक्तिक भिन्नता के कारण अधिगमकर्ता (Learner) की सीखने की क्षमताएं भी अलग-अलग होती हैं। अधिगमकर्ता में भाषा, जाति, लिंग, संप्रदाय, धर्म के आधार पर विभिन्नताएं पाई जाती हैं। इसी कारण बच्चों को उनके वैयक्तिक अंतर को ध्यान में रखते हुए ही शिक्षा दी जानी चाहिए।
वैयक्तिक भिन्नता क्या है/ What is Individual Difference
सबसे पहले सर फ्रांसिस गालटन ने अपनी बुक "हेरेडिटरी जीनीयस"" Heriditary Genius" में पहली बार वैयक्तिक अंतर की बात की, उन्हें फादर ऑफ यूजनिक्स कहा जाता है। इन्होंने व्यक्तिक भिन्नताओं को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा-
1) अनुवांशिक या वंशानुगत भिन्नताएं (Genetic or Heriditary Differences)
2) वातावरणीय या अर्जित भिन्नता( Environmental or Acquired Differences)
अनुवांशिकता भिन्नताओं में मुख्य रूप से शारीरिक अंतर, मानसिक अंतर, स्वभाव में अंतर, क्षमताओं में अंतर, लिंग में अंतर, व्यक्तित्व में अंतर, धार्मिक भावनाओं में अंतर आदि हैं. जबकि वातावरणीय भिन्नताओं के अंतर्गत भाषा, आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति, शिक्षा, राष्ट्रीयता, जाति आदि आते हैं। इन सभी कारकों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर पड़ता है और इसी से उसकी वैयक्तिक भिन्नता निर्धारित होती है। यानी कि व्यक्ति यह बच्चा कुछ भी नहीं है सिर्फ अनुवांशिकता और वातावरण का गुणनफल ही है। इसी के आधार पर उसकी जीवन की सभी प्रक्रियाएं निर्धारित होती हैं।
इस वैयक्तिक भिन्नता के अध्ययन के लिए ही विभिन्न प्रकार के समूहीकरण या वर्गीकरण, अध्यापन की विधियों, पाठ्यक्रम, व्यवसाय संबंधी शिक्षा ,शारीरिक शिक्षा, बुद्धि परीक्षण,अभिरुचि परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है .जिससे कि अधिगमकर्ता के वैयक्तिक अंतर को महत्व देते हुए उसे, उसके हिसाब से सिखाया जा सके.
इसके अगले आर्टिकल में हम अधिगम के लिए आकलन और अधिगम का आकलन में अंतर, सतत तथा समग्र मूल्यांकन आदि के बारे में जानेंगे।
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