एमपी टेट वर्ग 3 का एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है "अधिगमकर्ताओं की तैयारी के स्तर के आकलन हेतु प्रयुक्त प्रश्नों का निर्माण, कक्षा- कक्ष में अधिगम को बढ़ाने आलोचनात्मक चिंतन और अधिगम कर्ताओं की उपलब्धि के आंकलन के लिए "
वर्तमान समय में प्रचलित शिक्षा पद्धति, छात्र केंद्रित (Child Centered) है जिसमें अधिगमकर्ता (बच्चे) केंद्र में होते हैं जबकि शिक्षक और पाठ्यक्रम उसके आसपास कहीं होते हैं। प्रश्नों के आदान-प्रदान से कक्षा के वातावरण को जीवंत बनाया जा सकता है। प्रश्न के द्वारा शिक्षक और छात्र दोनों के बीच संवाद की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा पूरी कक्षा को क्रियाशील बनाया जा सकता है और चिंतन की प्रक्रिया और दिशा शुरू की जा सकती है।
अधिगमकर्ताओं की तैयारी के स्तर के आंकलन हेतु प्रयुक्त प्रश्नों का निर्माण कैसा होना चाहिये
अध्ययन और अध्यापन को सफल बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और अति आवश्यक एवं आदिकाल से चली आ रही, शिक्षण कलाओं में प्रश्न निर्माण, प्रश्न पूछना, प्रश्नों के द्वारा विषय को आगे बढ़ाना तथा फिर मूल्यांकन करना आदि शामिल हैं। इसलिए प्रश्नों का निर्माण कुछ इस प्रकार से होना चाहिए जिससे कि बच्चों को विषय को गहनता से जानने में मदद मिले, नए विचारों और दृष्टिकोण की खोज को आगे बढ़ाने में मदद मिले।
सामान्यतः प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं- वस्तुनिष्ठ प्रश्न, निबंधात्मक प्रश्न और संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न, परंतु बालकों का रचनात्मक आंकलन (Creative Evaluation) करने के लिए उन्हें परियोजना कार्य, अवलोकन और खुले अंत वाले प्रश्न दिए जाने चाहिए। जिससे कि बच्चे अपने विचारों और दृष्टिकोण को व्यक्त कर सकें। जिसे बच्चे विभिन्न दिशाओं में सोचना सीख सकेंगे।
कक्षा-कक्ष में अधिगम को बढ़ाने के लिए आलोचनात्मक चिंतन
खुले अंत वाले प्रश्नों (Open Ended Question) का उत्तर देने के लिए बच्चे विभिन्न दिशाओं में सोच सकेंगे, यह उनकी रचनात्मक सोच को बढ़ावा देगा और वे स्वयं किसी समस्या का समाधान भी निकाल सकेंगे। जिससे उनमें आत्मविश्वास की भावना का विकास होगा और भविष्य में वे एक जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे। आलोचनात्मक चिंतन द्वारा बच्चे किसी भी समस्या के पक्ष और विपक्ष पर भी विचार कर सकेंगे, जो कि उनके आगे आने वाली जीवन में जीवन में भी काम आएगा। इससे अधिगमकर्ता (Learners) समायोजन करना भी सीख जायेंगे।
अधिगमकर्ता की उपलब्धि के आंकलन के लिए
अधिगमकर्ता की उपलब्धि के आंकलन के लिए कई प्रकार की विधियों को अपनाया जाता है। वर्तमान समय में आंकलन के लिए ग्रेडिंग पद्धति का प्रयोग किया जाता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में अधिगम कर्ताओं की उपलब्धियों की रिपोर्ट उपलब्धियों की रिपोर्ट की उपलब्धियों की रिपोर्ट तैयार की जाती है बच्चों की उपलब्धि का मूल्यांकन सतत और समग्र रूप से होते रहना चाहिए, जिससे आवश्यकता होने पर उसके लिए निदानात्मक, उपचारात्मक, प्रोत्साहनात्मक और सराहनात्मक कार्य किया जा सके।
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