Concept of Inclusive Education and Understanding of Special Needs of Children
एमपी टेट वर्ग 3" समावेशी शिक्षा की अवधारणा एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की समझ पर"- 05 प्रश्न आधारित होते हैं जिसके अंदर 5 सब टॉपिक्स शामिल हैं, जिसमें -आलाभान्वित एवं वंचित वर्गों सहित विभिन्न पृष्ठभूमियों के अधिगमकर्ताओं की पहचान, अधिगम कठिनाइयों 'क्षति' आदि से ग्रस्त बच्चों की आवश्यकता की पहचान, प्रतिभावान, सृजनात्मक, विशेष क्षमता वाले अधिगमकर्ताओं की पहचान, समस्याग्रस्त बालक की पहचान एवं निदानात्मक पक्ष, बाल अपराध कारण एवं प्रकार शामिल हैं।
शिक्षा प्राप्त करना सभी का मौलिक अधिकार है, चाहे कोई बच्चा मंदबुद्धि हो, चाहे कोई प्रतिभाशाली हो शिक्षा पाने का अधिकार सभी को है। "समावेशी" शब्द का अर्थ है, सभी को एक साथ शामिल करना। समावेशी शिक्षा पद्धति में सभी प्रकार के बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जाती है, चाहे उनमें किसी भी प्रकार के अंतर क्यों ना हो।
किसी भी प्रकार का अलगाव प्रकृति के नियम के विरुद्ध है जो कि बच्चों में हीनभावना को जन्म देता है, इसलिए सभी प्रकार के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाना समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है। वर्तमान समय में समावेशी शिक्षा ने, एकीकृत शिक्षा (इंटीग्रेटेड एडुकेशन) को ही विस्थापित किया है।
एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा में अंतर/ Difference Between integrated education and inclusive education
एकीकृत शिक्षा में जहां बच्चों को एजुकेशन सिस्टम के अनुसार ढलने को कहा जाता था, वहीं समावेशी शिक्षा के अंतर्गत एजुकेशन सिस्टम को ही बच्चे के अनुरूप ढाला जाता है। समावेशी शिक्षा में सभी प्रकार के बच्चों को चाहे वे मानसिक रूप से विकलांग हों, चाहे शारीरिक रूप से, चाहे सामाजिक रूप से, चाहे शैक्षिक रूप से भिन्न हों, उन्हें साथ में ही पढ़ाना होता है। जिससे कि उनमें किसी भी प्रकार की हीन भावना का विकास ना हो सके। जबकि एकीकृत शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चों को अलग-अलग प्रकार के स्कूलों में डाला जाता था, जो कि एक प्रकार से अलगाव (Segrregation) को जन्म देता है। इसी कारण समावेशी शिक्षा में विभिन्न प्रकार की आवश्यकता वाले बच्चों को एक साथ रखा जाता है और उनके अनुरूप शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता है क्योंकि शिक्षा, बच्चे के लिए है, ना कि बच्चा, शिक्षा के लिए।
समावेशी शिक्षा में पैरंट्स, टीचर्स और कम्युनिटी का क्या योगदान है / Role of parents, teachers and community in inclusive education
समावेशी शिक्षा, अनेकता में एकता की अवधारणा को चरितार्थ करती है। जिस प्रकार से प्रत्येक बच्चा दिखने में, रुचियों में, योग्यताओं में, एप्टिट्यूड में, भाषा में, अलग-अलग होने के बाद भी एक है। समावेशी शिक्षा में अभिभावकों टीचर्स समाज सभी का सपोर्ट आवश्यक है तभी समावेशी शिक्षा की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। इससे विभिन्न प्रकार की आवश्यकता वाले बच्चों को पहचान कर उनको उनके ढंग से सिखाया जा सकता है। इस प्रकार अभिभावक, टीचर्स और समाज सब मिलक विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और एक अच्छे समाज का निर्माण हो सके। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.