अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र - Learning and Pedagogy
एमपी टेट वर्ग 3 में "अधिगम एवं शिक्षाशास्त्र "से संबंधित 10 प्रश्न पूछे जाएंगे जिसमें से कुछ महत्त्वपूर्ण सबटॉपिक्स को हम पहले ही जान चुके हैं। आज हम कुछ और महत्वपूर्ण सब टॉपिक्स जैसे- संज्ञान और संवेग, अभिप्रेरणा और अधिगम"
संज्ञान क्या है / What is Cognition
संज्ञान का अर्थ है, समझ या ज्ञान। जो की मुख्य रूप से मानसिक क्रियाओं से जुड़ा होता है। इसमें मुख्य रूप से ज्ञान, समग्रता, अनुप्रयोग, विश्लेषण, संश्लेषण, मूल्यांकन आदि पक्ष शामिल होते हैं। जीन पियाजे ने विभिन्न प्रकार के संज्ञानात्मक पक्षों का अध्ययन करके बाल विकास की चार मुख्य अवस्थाएं बताई हैं जिनके अनुसार बच्चों का संज्ञानात्मक विकास होता है। बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के आधार पर ही उनका सिलेबस, शिक्षण प्रक्रिया आदि निर्धारित करना जाना चाहिए।
संवेग क्या है /What is Emotions
संवेग शब्द अंग्रेजी के "Emotion" शब्द से बना है जो कि लेटिन भाषा के शब्द "Emovere" से बना है जिसका अर्थ है "Stirred Up" संवेग व्यक्ति की उत्तेजित अवस्था का ही दूसरा नाम है। संवेग परिवर्तनशील होते हैं यानी हर समय एक सी अवस्था अवस्था अवस्था अवस्था नहीं होती। कभी दुख तो कभी सुख, कभी भय, क्रोध, प्रेम ,ईर्ष्या आदि की भावना आती रहती है।
वाटसन (Watson) ने मुख्य रूप से संवेगों की संख्या 3 बताई है। भय, क्रोध और प्रेम।
परंतु संवेगों का संबंध मूल प्रवृत्तियों से होता है। 14 मूल प्रवृत्तियों के आधार पर 14 ही संवेग बताए गए हैं जो कि भय, वात्सल्य, घृणा ,कामुकता, करुणा व दुख, आत्माहीनता, क्रोध, आत्माभिमान, अधिकार भावना, भूख आमोद, कृतिभाव, आश्चर्य, एकाकीपन हैं।
अरस्तु के अनुसार "कोई भी नाराज हो सकता है, यह आसान है, परंतु एक सही व्यक्ति के ऊपर, सही मात्रा में, सही समय पर, सही उद्देश्य के लिए तथा सही तरीके से नाराज होना आसान नहीं है"।
शिक्षा के क्षेत्र में संवेगों का उपयोग करके बच्चों में विभिन्न प्रकार की रुचि उत्पन्न की जा सकती है। संवेगों को नियंत्रित करने की विधियां बता बच्चों को सही दिशा में जागृत करके, उनको महान कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। संवेग लब्धि (Emotional Quotient)को EQ से व्यक्त किया जाता है।
अभिप्रेरणा और अधिगम / Motivation and Learning
अभिप्रेरणा का सामान्य अर्थ है- किसी कार्य को करने के लिए प्रोत्साहित करना। बीएफ स्किनर के अनुसार-"Motivation is the National Highway for Learning"
यानी अभिप्रेरणा, अधिगम के लिए नेशनल हाईवे की तरह कार्य करती है, जिस पर बच्चे के अधिगम या सीखने की गाड़ी बहुत ही तेजी से दोड़ती है।
अभिप्रेरणा का संबंध कहीं ना कहीं आवश्यकता (Need) से भी होता है। जितनी बड़ी आवश्यकता होती है, उतनी ही तेजी से बच्चा सीखता है।
यह अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है आंतरिक और बाह्य (internal And External)
यदि कोई भी व्यक्ति आंतरिक रूप से अभिप्रेरित है तो वह निस्वार्थ भाव से काम करता जाता है और आगे बढ़ता जाता है परंतु यदि अभिप्रेरणा केवल बाहरी रूप से होती है तो कुछ समय बाद अधिगम की प्रक्रिया रुक जाती है।
शिक्षा के क्षेत्र में अभिप्रेरणा का उपयोग करके बच्चों के बच्चों को व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है और उनमें मानसिक विकास को प्रेरित किया जा सकता है।
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