MP TET VARG 3 टॉपिक - सामाजिक निर्माण के रूप में जेंडर की भूमिका, लिंगभेद और शैक्षिक प्रथाएँ

Bhopal Samachar

Gender As a Social Construct ; Gender Roles, gender- bias and Educational practices

मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एमपी टेट वर्ग 3) में साइकोलॉजी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है सामाजिक निर्माण के रूप में जेंडर, जेंडर की भूमिका, लिंग भेद और शैक्षिक प्रथाएँ। 

जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार सभी को समानता का अधिकार (Right to Equality) प्राप्त है जो कि किसी भी प्रकार किसी भी प्रकार के भेदभाव को मान्यता नहीं देता। हमारे समाज में लैंगिक भेद लगभग सभी क्षेत्रों में विद्यमान हैं। चाहे वह व्यक्तित्व के विषय में हो, आयु के विषय में हो, जाति के विषय में हो ,शिक्षा के विषय में  हो। चूँकि समाज के निर्माण में शिक्षक की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए इन भेदभावों को कम करने के लिए अध्यापक को, लिंगभेद आधारित भावना के विरुद्ध कदम उठाना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय की सबसे महत्वपूर्ण मांग है समानता। 

समानता (Eqality) का अर्थ है कि किसी को भी किसी भी डिफरेंस के आधार पर कुछ भी करने से ना रोका जाए। यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि लिंग (Sex) एक जैविक संरचना (Biological Construct) है जबकि जेंडर(Gender) एक सामाजिक संरचना (Social Construct) है जिसे लोगों ने बनाया है और बच्चों के शुरुआती साल ही, उनके आगे के विचारों को बनाते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उन्हें बचपन से ही समानता का महत्व समझाया जाए। 

लिंग रूढ़िवादिता, लिंग भेदभाव और लिंग पक्षपात 

हमारे समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण कुछ ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं जिनके कारण रूढ़िवादी सोच उत्पन्न हो जाती है। जैसे-  अगर लड़की है तो घर का काम ही करेगी और लड़का है तो बाहर के काम करेगा, यहां तक की किताबें, मीडिया भी इसको सपोर्ट करता है। बच्चों की किताबों में इस तरीके की पिक्चर्स दी होती है कि मम्मी हमेशा घर का काम करती हुई दिखाई देती हैं और बाकी के लोग टीवी देखते हुए या बैठे हुए दिखाई देते हैं। इसी प्रकार टीवी ऐड में भी पापा ऑफिस जाते हुए दिखाई देते हैं और मम्मी घर में किचन का काम करती हुई दिखाई देती हैं, जो कि रूढ़िवादी सोच को जन्म देता है।
 
और धीरे-धीरे जब यही बच्चे बड़े होते हैं तो उनमें जेंडर बॉयस नेस (पक्षपात पूर्ण व्यवहार) अपने आप आने लगता है। जिसे लिंग रूढ़िवादिता (Gender Stereotype), लिंग भेदभाव (Gender Discrimination), लिंग पक्षपात (Gender Bias) कहा जाता है। 

उदाहरण- लड़का ही घर चलाएगा (लिंग रूढ़िवादिता) 
लड़की है तो घर के काम ही करेगी (लिंग रूढ़िवादिता) 

तुम तो लड़के हो तुम रो नहीं सकते (लिंग भेदभाव) 
वह तो बेचारी लड़की है वह कैसे करेगी (लिंग भेदभाव) 

हमारी लड़की घर के काम नहीं करेगी (लिंग पक्षपात) 
हमारा लड़का घर के काम नहीं करेगा( लिंग पक्षपात)

जेंडर बायसनेस क्या है

किसी भी एक तरफ झुकना चाहे लड़की की तरफ या लड़के की तरफ जेंडर बायसनेस है. लिंग रूढ़िवादिता के बारे में सिमोन डि बेयोर ( Simone De Beauvior) ने कहा कि" महिलाएं जन्म नहीं लेती पर बन  जाती  हैं" " one is not borne but rather become a woman"

लिंग रूढ़िवादिता को कम करने के साधन -

इसीलिए शिक्षक का कार्य है कि वह विद्यालय में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जेंडर को लेकर बच्चों में किसी भी प्रकार का भेदभाव ना किया जाए। स्कूल में हमेशा जेंडर न्यूट्रल लैंग्वेज का उपयोग किया जाना चाहिए, प्रोग्रेसिव सोच होनी चाहिए। लिंग रूढ़िवादिता को कम करने में परिवार, शिक्षक, शिक्षा, समाज, पाठ्यक्रम, मीडिया आदि सभी का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए इन सभी को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में किसी भी प्रकार की लिंग रूढ़िवादिता की भावना ना आए और वह बचपन से ही इस बात को समझ सकें कि बायोलॉजी  के हिसाब से लड़के और लड़की अलग है, परंतु उनके काम करने में कुछ भी अलग नहीं है।

अतः ऐसा कहा जा सकता है कि जब समाज में किसी भी प्रकार का जेंडर को लेकर भेदभाव नहीं होगा तो एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.

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