जबलपुर। MP Public Service Commission, Indore द्वारा सिविल सेवा परीक्षा 2019 के घोषित रिजल्ट को हाईकोर्ट ने विचाराधीन याचिका के फैसले के अधीन घोषित कर दिया है। यानी कि उपरोक्त परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं, हाईकोर्ट के आदेश के अधीन होगी। फैसले के पालन में कई लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। इसके लिए उम्मीदवार चैलेंज नहीं कर पाएंगे।
गुरुवार को प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ में सुनवाई हुई। एक साथ 45 याचिकाओं की सुनवाई हो रही है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं मध्य प्रदेश शासन को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया है। इन याचिकाओं में पीएससी नियमों की संवैधानिकता एवं प्रारंभिक परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम की वैधता को चुनौती दी गई है। उक्त असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113 प्रतिशत था। ये नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावन छात्रों को अनारक्षित, ओपन सीट पर माइग्रेट करने से रोकते थे। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसम्बर, 2021 को इन नियमों को पीएससी ने निरस्त कर दिया।
इसी बीच उक्त याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 31 दिसम्बर, 2021को पुराने नियम लागू कर मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि पीएससी ने संशोधित नियमों को दरकिनार करके मुख्य परीक्षा 2019 के परिणाम जारी किए। जबकि यह सामान्य नियम है कि असंवैधानिक नियमों के सम्बंध में उपधारण की जाएगी कि उक्त नियम कभी अस्तित्व में थे ही नहीं फिर भी पीएससी ने लागू किए। लिहाजा, उक्त परीक्षा परिणाम निरस्त किया जाए। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.