जबलपुर। M.P. Public Service Commission, Indore द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2019 विवाद में मंगलवार को हाईकोर्ट में जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। सरकार की तरफ से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया था। उच्च न्यायालय ने सरकार को 2 दिन का समय दिया है।
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की डिवीजन बैंच ने निर्देश दिए कि अगली सुनवाई उस बेंच में होगी, जिसमें जस्टिस कौरव नहीं होंगे क्योंकि पूर्व महाधिवक्ता रहते हुए जस्टिस इस मामल में राज्य सरकार की ओर से वकालत कर चुके हैं। इसकी अगली सुनवाई 10 फरवरी काे होगी। इस मामले में लंबित 45 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है। इंतजार किया जा रहा है कि सरकार की तरफ से क्या जवाब प्रस्तुत किया जाता है।
MPPSC 2019- 113% आरक्षण दे दिया था
इन याचिकाओं में पीएससी नियमों की संवैधानिकता और प्रारंभिक परीक्षा-2019 के घोषित रिजल्ट को चुनौती दी गई है। याचिकाओं के माध्यम से हाईकोर्ट में कहा गया कि असंवैधानिक नियमों के चलते कुल आरक्षण 113 प्रतिशत हो गया था। ये नियम आरक्षित वर्ग के लिए प्रतिभावान छात्रों को अनारक्षित ओपन सीट पर माइग्रेट करने से रोकते थे।
नियम निरस्त हो गई थे, MPPSC ने फिर भी रिजल्ट जारी कर दिया
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसंबर 2021 को इन नियमों को पीएससी ने निरस्त कर दिया। इसी बीच उक्त याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 31 दिसंबर 2021 को पुराने नियम लागू कर मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर ने तर्क रखा कि पीएससी ने संशोघित नियमों को दरकिनार कर मुख्य परीक्षा 2019 के परिणाम जारी किए हैं। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.