MPPSC- Prelimnary Exam Prepration Topic- vijayanagar empire
भारत की प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों में से एक शक्ति विजयनगर साम्राज्य हुआ करता था। जिसका शासनकाल कार्यकाल 1336 से 1652 तक रहा। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में की थी।
तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर साम्राज्य की स्थापना
हरिहर एवं बुक्का वारंगल के वंश के शासक प्रताप रूद्र देव के सामंत थे। गुरु विद्यारण्य से प्रभावित होकर पुनः हिंदू धर्म को अपनाया और तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की। अपने पिता संगम के नाम पर विजय नगर के पहले वंश का नाम, संगम वंश रखा गया। संगम वंश के बाद सालुव वंश, तुलुब वंश, अरविंद या अराविदु वंश की स्थापना हुई।
राजा कृष्णदेव राय भारत का सबसे शक्तिशाली शासक
इन सभी वंशों में से सबसे प्रतापी शासक, राजा कृष्णदेव राय हुए जो कि तुलुव वंश के महानतम शासक थे। बाबर की आत्मकथा "तुजुक-ए-बाबरी" में राजा कृष्णदेव राय को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया गया। राजा कृष्णदेव राय ने विजयनगर (वर्तमान हाम्फि) को अपनी राजधानी बनाया था। राजा कृष्णदेव राय का दरबार "अष्टदिग्गजों" से सुशोभित हुआ करता था जो कि 8 तेलुगु कवियों का समूह था। इनमें से मुख्य रूप से तेनालीराम सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए, जिन्होंने पांडुरंग महामात्य की रचना की थी।
राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम की कहानियां
महान सम्राट अकबर, बीरबल की तरह ही राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम की कहानियां भी काफी प्रसिद्ध हैं। राजा कृष्णदेव राय ने "जामवैति कल्याणम्" और "आमुक्य माल्यद" की रचना की थी। राजा कृष्णदेव राय ने यवनराजस्थापनाचार्य, आंध्र भोज, अभिनव भोज, आंध्र पितामह आदि उपाधियां धारण की थीं। राजा कृष्णदेव राय के बाद अच्युतदेव राय को विजयनगर साम्राज्य का शासक बनाया गया। इसके बाद सदाशिव राय को विजयनगर साम्राज्य का राजा बनाया गया। जिसके शासनकाल में तालीकोटा का युद्ध हुआ और विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया।