जबलपुर। MP Public Service Commission के विशेषज्ञों के ज्ञान और योग्यता को चुनौती दी गई है। आदि ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की थी, इस प्रश्न का सही उत्तर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में घोषित किया जाएगा। यदि संस्थापक का नाम केशवचंद सेन निकला तो ना केवल मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग केस हार जाएगा और नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करनी पड़ेगी बल्कि उसके विद्वानों भी अयोग्य साबित हो जाएंगे। उन्हें बदलना पड़ सकता है।
2 नंबर से छू के उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की
जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। परीक्षार्थी एवं याचिकाकर्ता शुभांगी, नेहा, पृथ्वी व सुमित की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पीएससी द्वारा 28 दिसंबर, 2020 को जारी विज्ञापन के आधार पर 25 जुलाई, 2021 को पीएससी प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी। जिसका परिणाम 15 जनवरी, 2022 को घोषित किया गया। जिसमें याचिकाकर्ता फेल घोषित कर दिए गए।
आदि ब्रह्म समाज के संस्थापक का सही नाम, हाई कोर्ट में बहस के बाद पता चलेगा
बहस के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि पीएससी परीक्षा में प्रश्न किया गया था कि आदि ब्रह्मसमाज की स्थापना किसने की थी। इसका सही उत्तर विकल्प क्रमांक-दो केशवचंद सेन सही था। लेकिन पीएससी ने उत्तर क्रमांक-ए देवेंद्रनाथ टैगोर को सही मानकर अंक नहीं दिए। भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पाठ्य सामग्री के अलावा अन्य लेखकों की पुस्तकों में भी केशवचंद सेन को ही संस्थापक माना गया है। अब लोक सेवा आयोग की ओर से जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। एमपीपीएससी को साबित करना होगा कि देवेंद्र नाथ टैगोर ही आदिब्रह्म समाज के संस्थापक हैं। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.