जबलपुर। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के सामने प्रतिष्ठा का प्रश्न उपस्थित हो गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि जिन भर्ती एवं प्रवेश प्रक्रिया ऊपर हाईकोर्ट ने स्टे आर्डर जारी नहीं किया है वहां ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जाए परंतु मेडिकल कॉलेज के एडमिशन में केवल 14% आरक्षण दिया जा रहा है जबकि सरकार ने दस्तावेजों में 27% का प्रावधान किया हुआ है।
जब प्रावधान कर दिया तो आरक्षण क्यों नहीं दे रही सरकार, हाईकोर्ट ने पूछा
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा के आरक्षण नियमों में सन 2018 में संशोधन कर दिया गया है तो NEET अंडर ग्रेजुएट (MBBC/BDS)में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की रहने वाली स्टूडेंट उमा कहार ने याचिका दाखिल करके सरकार की शिकायत की है। उनके अधिवक्ता रामेश्वर पी. सिंह और विनायक शाह ने दलील दी है कि राज्य सरकार ने 5 दिसंबर 2021 को मध्य प्रदेश मेडिकल प्रवेश नियम 2018 में संशोधन कर दिया है। पहले नीट-पीजी और यूजी के लिए ओबीसी कैटेगरी के लिए 14% आरक्षण लागू किया गया था। संशोधन के बाद यूजी के लिए यह आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया गया है।
इसके बावजूद सरकार नीट परीक्षा में पिछड़ा वर्ग को केवल 14% आरक्षण ही दिया है, जो कि अवैधानिक है। याचिकाकर्ता की ओर से अपील की गई थी कि हाई कोर्ट अंतरिम राहत प्रदान करे। जबकि सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नार्ड ने दलील दी है कि पूर्व में हाई कोर्ट ने MBBS के मामले में OBC को 14% आरक्षण के साथ परीक्षा और काउंसलिंग कराने के अंतरिम आदेश दिए हैं। इसलिए इस वर्ग को 27% आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.