स्वतंत्रता के 75 साल बाद जबकि भारत 5G टेक्नोलॉजी की तरफ बढ़ रहा है, कुछ इलाके ऐसे हैं जहां जाति के आधार पर भेदभाव कम नहीं हो रहा है। कुछ लोग आज भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के दूल्हे को घोड़े पर सवार होने नहीं देते। वह मानते हैं कि घोड़ा केवल उनके लिए आरक्षित सवारी है। आइए जानते हैं इस तरह की भावना के साथ जाति आधारित भेदभाव करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई होती है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की धारा 3(1)(यक)(आ) की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग का सदस्य नहीं है वह किसी अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के सदस्यों को
1. साइकिल या मोटर साइकिल को रोकेगा।
2. किसी भी वाहन में सवारी नहीं करने देगा।
3. सार्वजनिक स्थानों पर जूते चप्पल पहनकर नहीं निकलने देगा।
4. नए कपड़े पहनने पर घृणा उत्पन्न करेगा।
5. विवाह के समय शोभा यात्रा का बारात को नहीं निकलने देगा।
6. किसी व्यक्ति को घोड़े या अन्य यान पर नहीं बैठने देगा।
तब ऐसा करने वाला व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3(1)(यक) आ के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि;-
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता(संदाय) एवं सरकार का कर्त्तव्य हैं कि ऐसे व्यक्तियों को समानता के अधिकार उपलब्ध करवाना एवं यात्रा को निकलवाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करे। आर्थिक राशि जिला कलेक्टर या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होगी है।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com