यदि आप मध्यप्रदेश में अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो सिंघाड़ा की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा सिंघाड़ा की खेती के लिए अनुदान दिया जाएगा। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिये।
सिंघाड़ा की खेती के लिए तालाब जरूरी नहीं, खेत में भी उड़ा सकते हैं
ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि सिंघाड़ा की खेती केवल तालाब में हो सकती है परंतु ऐसा नहीं है। आप अपने छोटे से खेत में भी सिंघाड़ा की खेती कर सकते हैं। खेत में जून से लेकर जनवरी तक 60-120 सेंटीमीटर तक पानी भरना होता है। बरसात से पहले बुवाई की जाती है और बारिश में सिंघाड़े की फसल बहुत तेजी से बड़ी होती है। अधिक जानकारी के लिए कृपया यह आर्टिकल पढ़ें (30000 बीघा का मुनाफा, बिना तालाब सिंघाड़े की खेती)
सिंघाड़ा की खेती के फायदे
अच्छी बात यह है कि इसकी फसल साल के 12 महीने तक ली जा सकती है। क्योंकि सिंघाड़े का आटा व्रत एवं उपवास में उपयोग किया जाता है इसलिए इस के अच्छे दाम मिलते हैं। सूखे सिंघाड़े की कीमत ₹120 किलो तक होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी सबसे ज्यादा कीमत मिलती है।
तालाब के पास बगीचा और तार फेंसिंग के लिए भी सरकार पैसा देगी
राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि उद्यानिकी किसानों की माँग के अनुसार उन्नत किस्म के बीज और पौधे विभाग उपलब्ध करवायेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की माँग के अनुरूप विशेष रूप से अमरूद की वीएनआर वर्फ खाना, पिंक ताईवान आदि किस्मों के पौधे विभाग द्वारा उद्यानिकी किसानों को उपलब्ध करवाये जायेंगे। यानी कि यदि तालाब के पास कुछ खाली जमीन है तो आप एक बगीचा भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से सुरक्षित रखने के लिये खेत की तार-फेंसिंग के लिये अनुदान देने की योजना शुरू की जायेगी।
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