संपत्ति-अन्तरण अधिनियम,1882 का उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति की चल एवं अचल संपत्ति का ट्रांसफर किस प्रकार किया जा सकता है एवं किस प्रकार की चल, अचल संपत्ति का अन्तरण नहीं किया जा सकता है। ये सभी नियमों को संपत्ति अन्तरण अधिनियम में बताया गया है। आज हम सिर्फ आपको यह जानकारी देगे की किस प्रकार की भू संपत्ति का अन्तरण किसी अन्य को नहीं किया जा सकता है जानिए।
संपत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 की धारा 6 की परिभाषा:-
अधिनियम की धारा 6 यह बताती है कि किस प्रकार की संपत्ति का अन्तरण नहीं किया जा सकता है। धारा 6 के अन्तरणीयता के अपवाद के अनुसार हिन्दू विधि में सेवाइती संपत्ति है उनका अन्तरण नही किया जा सकता है- राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की भूमि, अविभाज्य संपत्ति, राजमुकुट, राजगद्दी, देवोत्तर संपतियां।
• धारा 6 की उपधारा (ग) के अनुसार कोई सुखाचार या अनुसेवी संपत्ति का अन्तरण प्रारम्भ से ही अवैध होगा, अर्थात किसी को जीवन यापन के लिए सरकार दी गई संपत्ति या किसी को मालिक द्वारा किसी व्यक्ति को उपभोग के लिए दी गई सम्पति संपत्ति का अन्तरण नहीं किया जा सकता है इसमे इनामी भू संपत्ति भी हो सकती है।
इनाम में मिली जमीन को भेज सकते हैं या नहीं
उधानुसार:- अंजनेयुलू बनाम श्री वेणुगोपाल:- उक्त मामले में मद्रास हाईकोर्ट का यह निर्णय हैं कि किसी व्यक्ति को जमीन इनाम में दी गई। उसे मंदिर में स्वस्तिवाचन करना था क्या इनाम अन्तरणी संपत्ति थी, मद्रास हाईकोर्ट ने इनाम की संपत्ति को अन्तरणी सम्पदा नहीं माना क्योंकि यह इनाम सेवा का फल था।
मध्यप्रदेश में पट्टे की जमीन को बेचा जा सकता है या नहीं
नोट:- मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 181 के अंतर्गत सरकारी पट्टे की भूमि किसी भी प्रकार से अन्तरणी संपत्ति नहीं है क्योंकि संहिता की धारा 57 कहती है कि राज्य की समस्त भूमि संपत्ति राज्य की संपत्ति हैं इसी कारण सरकारी पट्टे की भूमि का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह भूमि राज्य सरकार या कलेक्टर द्वारा दखल देने का अधिकार दिया जाता है। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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