भोपाल। प्रदेश भर के कम से कम 200 से 500 कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में दिख रहा हैं। उच्च शिक्षा विभाग में लगभग 20 से 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद मध्यप्रदेश शासन के पदोन्नति सर्विसेज रूल्स के नियम 1974 के अनुपालन के कारण पदोन्नति हेतु प्रयोगशाला तकनीशियन के लिए अनिवार्य योग्यता हायर सेकेण्डरी का विषय विज्ञान संकाय या कला संकाय का होना अनिवार्य है। नहीं तो, पदोन्नति नही मिल पायेगी। जिस कारण हम सभी प्रयोगशाला परिचारकों का भविष्य अंधकार में हैं। क्योंकि हम सभी का 12th एग्रीकल्चर विषय से है।
पदोन्नति हेतु योग्यता का मापदण्ड और पैमाना उच्च शिक्षा में उच्च स्तर का होना चाहिए। न कि उच्च से निम्न स्तर के पैमाने का। जबकि यदि किसी प्रयोग शाला परिचारक के पास 12th एग्रीकल्चर विषय से है। जो विज्ञान संकाय में आता हैं जिस कारण वह पदोन्नति के मापदंडों को पूर्ण नहीं करता, भले ही उस के पास उच्च शिक्षा प्रायोगिक विषय के साथ की हो। यह मापदण्ड हैं। उच्च शिक्षा विभाग में कार्य करने वाले प्रयोगशाला परिचारकों की पदोन्नति हेतु। जहाँ पर योग्यता ता को दर किनार कर अयोग्य उम्मीद वारो का चयन पदोन्नति हेतु किया जाता हैं। जो योग्यता रखने वाले कर्मचारियों के साथ मे अन्याय हैं।
मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी उच्चशिक्षा मंत्री जी एवं कर्मचारियों के कल्याण और पदोन्नति समिति के माननीय सदस्य जन से अनुरोध हैं। कि नई पदोन्नति नियम के मापदंड का निर्धारण करते समय अतिरिक्त योग्यता यदि प्रायोगिक विषय के साथ मे हैं तो उसे पहले प्राथमिकता दी जाये। नियमो में सुधार अतिआवश्यक हैं।
क्यो की 2003 के बाद जो भी नियुक्ति प्रयोगशाला तकनीशियन के पद पर हुई हैं। उस मे 12th के साथ अधिकतम योग्यता का निर्धारण बीए बीएसी का किया गया। जो न्युक्ति हेतु निर्धारित की गई न की पदोन्नति हेतु जब न्युक्ति के समय परिचारक की योग्यता 10th हैं। तो पदोन्नति हेतु अधिकतम योग्ता बीए बीएसी होना चाहिए। अतिरिक्त योग्यता होने पर पहले प्राथमिकता दी जाये। राजकुमार अहिरवार
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