भोपाल। All India Institute of Medical Sciences Bhopal के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट द्वारा स्टडी रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। बताया गया है कि 35% पुरुष एवं 30% महिलाएं खर्राटे लेने की बीमारी (आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया) से पीड़ित हैं।
खर्राटे लेने की बीमारी- 18 से 70 साल के बीच 900 लोगों पर अध्ययन किया गया
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में आने वाले मरीजों के उन स्वजन पर यह अध्ययन किया गया है जो पूरी तरह से स्वस्थ थे। इनकी उम्र 18 से 70 साल के बीच थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से किए जा रहे इस अध्ययन में 900 आम लोगों को शामिल किए जाने का लक्ष्य है। जिन 670 लोगों पर अध्ययन किया जा चुका है, उनमें 218 (32%) में यह बीमारी मिली है। पीड़ितों में 70 प्रतिशत रक्तचाप (बीपी) और 14 प्रतिशत डायबिटीज से प्रभावित मिले हैं।
खर्राटे लेने वालों को- ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा
डाक्टरों का कहना है कि आमतौर पर अधिकतम 20 प्रतिशत लोग ही बीपी से पीड़ित मिलते हैं, लेकिन स्लीप एप्निया के चलते पर्याप्त नींद नहीं होने से रक्तचाप और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ढाई साल से चल रहा यह अध्ययन इस वर्ष अगस्त तक पूरा हो जाएगा। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. अभिषेक गोयल ने बताया कि भारत में अभी तक हुए अध्ययनों में सामने आया था कि करीब 10 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
मोटापे के कारण भी आते हैं खर्राटे
ताजा अध्ययन बता रहा है कि इसका दायरा बढ़ रहा है। इसकी एक बड़ी वजह मोटापा भी है। डा. अभिषेक गोयल ने बताया कि स्लीप एप्निया एक गंभीर बीमारी है। इसमें नींद के दौरान कुछ सेकंड के लिए सांस लेने में रुकावट होती है। उपचार नहीं होने पर डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, अवसाद, नपुंसकता और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में माहवारी बंद होने के बाद हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं। इस कारण मोटापा बढ़ने से ज्यादातर को स्लीप एप्निया हो जाती है।
मध्यप्रदेश में खर्राटे से पीड़ित मरीजों के लिए हेल्पलाइन
रात में तेज खर्राटे, नींद में सांस लेने के लिए हांफना, रात में बार-बार पेशाब आना, मुंह सूखना, दिन में अधिक नींद आना, सुस्ती जैसे लक्षण हैं। इस बीमारी की जांच स्लीप लैब में की जाती है। मरीज के सोने के बाद एक मशीन (पालीसोमनोग्राफी) से करीब आठ घंटे में यह जांच होती है। उन्होंने कहा कि यह जांच पूरी तरह से सुरक्षित है। मरीज को कोई दर्द या असुविधा नहीं होती। एम्स में मध्य भारत की सबसे बड़ी स्लीप लैब है, जहां एक समय में चार लोगों की जांच की जा सकती है। इसके बारे में मरीज फोन नंबर 0755-2834243 पर भी जानकारी ले सकते हैं।
खर्राटे की बीमारी का कारण
मोटापे की वजह से गर्दन मोटी हो जाती है। इस कारण श्वास नली संकरी होने से पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती। जिनका बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 30 से ऊपर होता है उनमें करीब 60 प्रतिशत को यह बीमारी होती है। बच्चों में इसकी वजह टान्सिल का बढ़ना भी है जो श्वास नली को दबाता है।
खर्राटे की बीमारी का इलाज
ज्यादा तकलीफ महसूस करने वालों को सोते वक्त कंटिन्यूअस पाजिटिव एयर-वे प्रेशर (सीपीएपी) मशीन लगानी होती है जो करीब 35000 रुपये में आती है। इसमें दबाव के साथ आक्सीजन प्रवाह से श्वास नली चौड़ी हो जाती है। मरीजों को मोटापा कम करने की सलाह भी दी जाती है। बच्चों में यदि टान्सिल बढ़ने से दिक्कत होती है या जबड़े के आकार की वजह से सांस लेने में समस्या होती है तो उसका इलाज किया जाता है। स्वास्थ्य से संबंधित समाचार एवं जानकारियों के लिए कृपया Health Update पर क्लिक करें.