कोई आपराधिक मामले में जब फरियादी पक्ष एवं आरोपी पक्ष न्यायालय के समक्ष अपने-अपने साक्ष्य को प्रस्तुत कर देता है तब मजिस्ट्रेट को लगता है की मामला आगे सुनवाई योग्य है, तब मजिस्ट्रेट दोनो पक्षों को न्यायालय बुलवाएगा एवं बहस आरंभ करेगा। मजिस्ट्रेट के समक्ष अभियोजन पक्ष एवं आरोपी पक्ष किस प्रकार से बहस करेगा जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 234 की परिभाषा:-
जब कोई आरोपी व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा या निजी सुरक्षा के साक्ष्य मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करता है तब फरियाद पक्ष का वकील उसके साक्ष्यों का उपसहार करेगा अर्थात खंडन करेगा। आरोपी स्वयं या उसका वकील सिर्फ उसके उत्तर देने का हकदार होगा।
लेकिन आरोपी स्वयं को या उसके वकील को कोई विधिक प्रश्न पूछना है तो वह अभियोजन न्यायाधीश की आज्ञा से ऐसे प्रश्न पूछने के लिए निवेदन करेगा।
अर्थात उपर्युक्त धारा के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है की आरोपी के बचाव या निजी सुरक्षा के साक्ष्य का फरियादी पक्ष के अधिवक्ता को उपसहार करना है यही बहस होती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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