नहाने के लिए टॉयलेट सोप खरीदना चाहिए या बाथिंग सोप, ध्यान से पढ़िए काम की बात- GK in Hindi

Bhopal Samachar

Toilet Soap Meaning in Hindi

बाजार में दो प्रकार के साबुन मिलते हैं TOILET SOAP और BATHING SOAP, ज्यादातर बाजार में टॉयलेट सोप मिलते हैं लेकिन कई लोगों में क्रेज होता है और वह खास तौर पर अपने लिए बाथिंग सोप खरीदना पसंद करते हैं। उनका मानना होता है कि लोगों को नॉलेज नहीं है इसलिए वह टॉयलेट में यूज होने वाला साबुन नहाने के लिए खरीद लेते हैं। आइए जानते हैं कि नहाने के लिए कौन सा साबुन खरीदना चाहिए। 

TOILET SOAP में TOILET का क्या अर्थ है, इससे नहा सकते हैं या नहीं

इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि TOILET का अर्थ क्या होता है। हम भारत के ज्यादातर लोग टॉयलेट का मतलब शौचालय समझते हैं। यह सही भी है परंतु यह अंतिम नहीं है। टॉयलेट का अर्थ शौचालय के अलावा कीटाणुओं की साफ सफाई करना भी होता है। मेडिकल में किसी भी सर्जरी से पहले टॉयलेट किया जाता है, यानी मरीज शौचालय नहीं भेजा जाता बल्कि मरीज के शरीर को कीटाणु रहित किया जाता है। TOILET SOAP में TOILET का अर्थ है शरीर को कीटाणु रहित करना। अब बताने की जरूरत नहीं कि इस साबुन से नहा सकते हैं या नहीं। 

BATHING SOAP में क्या स्पेशल होता है

आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन बाथिंग सोप का मतलब होता है एक ऐसा साबुन जिसका लैब टेस्ट करना अनिवार्य नहीं है। क्योंकि यह ना तो कीटाणुओं को साफ करता है और ना ही त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे साबुन जिनका TFM 60% से कम होता है उन्हें बाथिंग सोप या फिर ब्यूटी सोप कहा जाता है। ज्यादातर इस प्रकार के साबुन दुग्ध जैसे सफेद रंग या फिर पारदर्शी रंगों में आते हैं। दूसरी आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसे साबुन की कीमत कीटाणु साफ करने वाले टॉयलेट सोप से ज्यादा होती है। 

साबुन में TFM का क्या मतलब (फुल फॉर्म) होता है

तकनीकी भाषा में बात करेंगे तो बात लंबी हो जाएगी लेकिन सरल शब्दों में कहें तो TFM क्या मतलब होता है टोटल फ़ैटी मैटर (Total Fatty Matter) यानी कि साबुन में केमिकल का ऐसा संतुलन जिसके कारण कीटाणुओं की सफाई हो जाए और त्वचा को नुकसान ना हो। टॉयलेट सोप में TFM का होना अनिवार्य होता है लेकिन बाथिंग सोप का मतलब होता है ऐसा साबुन जिसमें TFM सबसे कम है, यानी कि कीटाणुओं को मारने की प्रतियोगिता से बाहर है। 

साबुन में  कितना TFM होना चाहिए 

साबुन में TFM का उल्लेख हमेशा प्रतिशत में होता है। ब्युरो ऑफ़ इंडीयन स्टैंडर्ड्स् (BIS - Bureau of Indian Standards) ने इसे 3 श्रेणियों में विभाजित किया है। 
ग्रेड 1- 76% या इससे अधिक। यानी सबसे ज्यादा कीटाणुओं को मारेगा और चाचा को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। 
ग्रेड 2- 70 से 75% तक। यानी कीटाणुओं को भी मारेगा और त्वचा को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा लेकिन स्किन सेंसेटिव है तो नुकसान हो सकता है और कीटाणु ताकतवर है तो मार नहीं पाएंगे। 
ग्रेड 3- 60 से 69% तक। यानी थोड़े कीटाणुओं को भी मारेंगे और थोड़ा स्किन के लिए भी हानिकारक हो सकता है लेकिन मॉइस्चराइजर लगा ले तो त्वचा को नुकसान नहीं होगा। 

60% से कम वाले साबुन बाथिंग सोप कहलाते हैं। यानी कि ना तो कीटाणुओं को मारेंगे ना त्वचा को नुकसान पहुंचाएंगे। आपको सिर्फ साबुन का एहसास कराएंगे। त्वचा की नमी बनी रहेगी इस बात की गारंटी है। 

हालांकि कंपनियों की लिस्ट दी जा सकती है परंतु इस नॉलेज के बेस पर आप खुद डिसाइड कर सकते हैं कि आपको नहाने के लिए कौन सा साबुन चाहिए और साबुन उसके रैपर पर छपी हुई लड़की को देखकर नहीं बल्कि उसके पीछे लिखे हुए TFM को देखकर खरीदना चाहिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 
(इसी प्रकार की मजेदार जानकारियों के लिए जनरल नॉलेज पर क्लिक करें) 
:- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
(general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi,  general knowledge questions with answers, gk questions for kids, )

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!