ग्वालियर। शहर में इन दिनों केवल 2 नाम सुर्खियों में है। पहला ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरा सहायक शिक्षक प्रशांत सिंह परमार। प्रशांत को 16 साल की नौकरी में ₹2000000 वेतन मिला है लेकिन EOW की छानबीन के दौरान अब तक ₹200000000 की प्रॉपर्टी का पता चल चुका है। मध्यप्रदेश शासन आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि छानबीन अभी जारी है। समाचार लिखे जाने तक प्रशांत सिंह परमार का कोई ऑफिशल स्टेटमेंट प्राप्त नहीं हुआ था।
प्रशांत सिंह परमार- शिक्षक नहीं शिक्षा माफिया है, EOW का दावा
छानबीन करने वाली टीम के एक सदस्य ने चुपके से बताया कि जिस तरह के डाक्यूमेंट्स हाथ में लग रहे हैं, प्रशांत सिंह परमार शिक्षक नहीं बल्कि शिक्षा माफिया है। यह आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा घोटाला है। EOW सूत्रों ने बताया कि शासकीय कर्मचारी होने के बावजूद प्रशांत सिंह ने परमार एजुकेशन ट्रस्ट का गठन किया। कुछ चेयरमैन बना और अपनी पत्नी को डायरेक्टर बनाया। ग्वालियर सहित कई जिलों में डीएड, बीएड और नर्सिंग कालेज संचालित कर रहा है। बिहार और झारखंड में ऑफिस खोले हुए हैं।
धौलपुर राजस्थान का रहने वाला है प्रशांत सिंह परमार
शिक्षा विभाग ग्वालियर के सूत्रों ने बताया कि प्रशांत सिंह परमार राजस्थान के धौलपुर का रहने वाला है। नौकरी की तलाश में ग्वालियर आया था। हजीरा में अपने दोस्त के साथ रहता था। 12वीं पास करने के बाद दोस्त के साथ ही वह 8वीं व 10वीं कक्षा के बच्चों को कोचिंग पढ़ाने लगा था। कोचिंग पढ़ाने के दौरान प्रशांत 10वीं व 12वीं कक्षा के छात्रों को पास कराने का ठेका लेने लगा। इसके बाद वह पुरानी छावनी स्थित स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाकर पास कराने का ठेका लेने लगा था। इस तरह उसने शिक्षा के क्षेत्र में घोटाले करना शुरू कर दिए। सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी उसने अपने काम धंधे बंद नहीं किए। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.