रेलवे ट्रैक पर डबल येलो सिग्नल क्यों होते हैं, जबकि रोड पर तो केवल GYR सिग्नल होते हैं- GK in Hindi

Bhopal Samachar
जब हम ट्रेन के अंदर बैठे होते हैं तो अक्सर ध्यान नहीं देते लेकिन कभी ना कभी रेलवे ट्रैक पर बने हुए सिग्नल पर नजर पड़ ही जाती है। रोड पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए GYR (ग्रीन- येलो-रेड) सिग्नल होते हैं परंतु रेलवे ट्रैक पर इन तीनों के अलावा एक एक्स्ट्रा सिग्नल भी होता है। उसमें पीले रंग की दो बत्तियां होती है। इसे डबल येलो सिग्नल कहते हैं। सवाल यह है कि जब GYR से काम चल रहा है तो फिर Y2 की क्या जरूरत थी। आइए किसी ऑफिशियल से पूछते हैं:-

भारतीय रेलवे ट्रैफिक में Y2 सिग्नल का महत्व क्या है

वेस्टर्न रेलवे मुंबई डिविजन के मंडल प्रबंधक मुकुल जैन बताते हैं कि पिछले 10 सालों में 3 बत्ती वाले सिग्नल सिस्टम की जगह चार बत्ती वाले सिग्नल सिस्टम लगाए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यात्रियों के समय की बचत की जा सके। चार बत्ती वाले सिग्नल सिस्टम के कारण ट्रेन को बहुत कम समय के लिए स्पीड कंट्रोल करनी पड़ती है। 

मुकुल जैन बताते हैं कि 3 बत्ती वाले सिग्नल सिस्टम में जब पीली बत्ती का सिग्नल मिलता था तो ट्रेन की स्पीड को 50% तक कम करना पड़ता था। 4 बत्ती वाले सिग्नल सिस्टम में इसी समस्या का निदान किया गया है। डबल येलो सिग्नल के कारण ट्रैफिक को ज्यादा बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा रहा है और ट्रेन की स्पीड भी ज्यादा देर तक कंट्रोल नहीं करनी पड़ती। 

रेलवे में चार बत्ती वाले ट्रैफिक सिग्नल का अर्थ 

लाल बत्ती- ट्रेन को रोक दीजिए। 
हरी बत्ती- ट्रेन को बेधड़क पूरी स्पीड से चलाइए। 
डबल येलो बत्ती। ATTENTION (ध्यान दीजिए) 
सिंगल येलो बत्ती CAUTION (गति नियंत्रित कीजिए)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 
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