दुनिया के महानतम गेंदबाज शेन वॉर्न की मात्र 52 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से मौत ने भारत में कुछ नए सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले 1 साल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिसमें 45 वर्ष से कम आयु के स्वास्थ्य युवा हार्ट अटैक का शिकार हुए और यह अटैक इतना खतरनाक था कि उनकी मृत्यु हो गई।
पिछले 1 साल में अंडर 45 में हार्ट अटैक से मौत की घटनाएं बढ़ गई
कुछ साल पहले तक डॉक्टर बताते थे कि 65 साल से अधिक उम्र के लोग ही हार्टअटैक का शिकार होते हैं। डॉक्टरों का कहना था कि हार्ट से कनेक्ट होने वाली आर्टिरीज में ब्लॉकेज के कारण हार्ट अटैक आता है। सरल हिंदी में बताएं तो हृदय में खून को पहुंचाने वाली पाइप लाइन में कोलेस्ट्रोल वाला कचरा जम जाने के कारण हृदय में खून की सप्लाई कम हो जाती है और इसके कारण हृदय को घात लगता है। लेकिन पिछले 2 सालों में 65 वर्ष से कम आयु के और खासकर 45 वर्ष से कम आयु के युवाओं की हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हुई है। भारत के लगभग हर शहर में ऐसे कई नाम है जिनकी मौत पर लोग आश्चर्यचकित हैं।
युवाओं में हृदयाघात का कारण
सिद्धार्थ शुक्ला 40 साल, इंदर कुमार 43 साल, पुनीत राजकुमार 46 साल और ऐसे ही सैकड़ों नाम की लिस्ट बन गई है। जो पूरी तरह से फिट थे। एक्सरसाइज करते थे, फिर भी अचानक हार्ट अटैक का शिकार हुए और उनकी मृत्यु हो गई। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण चंद्रा, सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. दिलीप सिंह राठौर और सीनियर नेचुरोपैथ डॉ. श्रीकांत एचएस का कहना है कि बदलती हुई लाइफस्टाइल हृदयाघात का कारण बन रही है।
हाइपरटेंशन, मोटापा, ओवर ईटिंग, स्मोकिंग, फेफड़ों में क्लॉटिंग की वजह से, ब्रेन में ब्लीडिंग, ड्रग्स एवं वायरल इंफेक्शन के कारण हार्ट अटैक आने लगे हैं। साथ ही खराब नींद पैटर्न और तनाव से यह स्थिति और भयावह हो जाती है। अध्ययन किया जा रहा है और निष्कर्ष निकलना भी बाकी है लेकिन अब तक की केस स्टडी में पाया गया है कि 45 वर्ष से कम आयु के जितने भी युवाओं की मृत्यु हार्टअटैक के कारण हुई उनमें से ज्यादातर का नींद का पैटर्न बहुत खराब था और वह किसी न किसी प्रकार की घबराहट या तनाव की स्थिति से गुजर रहे थे। स्वास्थ्य से संबंधित समाचार एवं जानकारियों के लिए कृपया Health Update पर क्लिक करें