ज्योतिरादित्य के सक्रिय होते ही शिवराज सिंह का इंदौर प्रेम क्यों उमड़ा, यहां पढ़िए- INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने भाषणों में प्रदेश के प्रत्येक गांव पर पूरा प्यार लुटाते हैं। जहां भी खड़े होते हैं उसे देश का सबसे अच्छा क्षेत्र बनाने का संकल्प दोहराते हैं, लेकिन इन दिनों इंदौर के प्रति शिवराज सिंह का प्यार कुछ ज्यादा ही उमड़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि मैं कहीं भी जाता हूं, इंदौर का नाम लिए बिना मेरा भाषण पूरा नहीं होता। इससे पहले उन्होंने खुद को इंदौरी बताया था। जबकि सब जानते हैं कि शिवराज सिंह का जन्म स्थान ग्राम जैत विधानसभा बुधनी, जिला सीहोर है। सोचने वाली बात है, क्या यह प्यार ज्योतिरादित्य सिंधिया के इंदौर में सक्रिय होने के कारण उमड़ रहा है। 

मुख्यमंत्री का नाम इंदौर में तय होता है 

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा विधायक होते हैं, उस पार्टी का मुख्यमंत्री बनता है। संसदीय परंपरा के अनुसार बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के सभी विधायक मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं और वही नेता मुख्यमंत्री होता है, लेकिन यदि मध्य प्रदेश की असली राजनीति की बात करें तो मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का नाम अधिसूचना जारी होने से पहले ही इंदौर में फाइनल हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि सारा प्लान इंदौर में बनता है। नेताओं को वोट जनता देती है परंतु नेताओं को जनता तक पहुंचने के लिए प्रचार का पैसा इंदौर से जारी होता है। 

क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान के लिए खतरा हैं

भारतीय जनता पार्टी में हर नेता का विकल्प तैयार किया जाता है। जहां तक शिवराज सिंह चौहान की बात है तो ना केवल विकल्प तैयार किए जा रहे हैं बल्कि दावेदार भी दम भर रहे हैं। प्रभात झा से लेकर विष्णु दत्त शर्मा तक और लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर गोपाल भार्गव तक बड़ी लंबी लिस्ट है, लेकिन यह सिर्फ लिस्ट है। कैलाश विजयवर्गीय जैसे दमदार नेता को भी कंट्रोल करने की कला शिवराज सिंह को आती है। लेकिन यदि बात ज्योतिरादित्य सिंधिया की की जाए तो परिस्थितियां बदल जाती हैं। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ना केवल अपने क्षेत्र में बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में तेजी से पकड़ बना रहे हैं। वह पहले नेता हैं जो केंद्रीय मंत्री रहते हुए मध्यप्रदेश को शोकेस किए हुए हैं। भाजपा के ऐसे नेताओं को भी अपने साथ खड़ा कर चुके हैं, जो कुछ सालों पहले तक सिंधिया के विरोध की राजनीति के लिए जाने जाते थे। सिर्फ इतना ही नहीं, एक तरफ केंद्रीय नेतृत्व तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी मजबूत पकड़ बना रहे हैं। यदि जनता में लोकप्रियता की बात की जाए तो, ज्योतिरादित्य सिंधिया एकमात्र ऐसे नेता है जो शिवराज सिंह चौहान से मुकाबला कर सकते हैं। 

सन 2018 में सब देख चुके हैं, शिवराज सिंह चौहान की सभाओं में सरकारी विभागों से संबंधित लोगों की भीड़ होती थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभाओं में आम नागरिक नजर आते थे। 2018 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर में सक्रिय नहीं थे। यही कारण रहा कि कमलनाथ उन्हें बड़ी ही आसानी से पीछे धकेल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाए। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया, इंदौर में सक्रिय हो गए हैं। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.

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