इंदौर। भ्रष्टाचार और काले धन से कमाई गई संपत्ति के मामले में कोर्ट अब सख्त हो गया है। कर्मचारियों में मान्यता थी कि रिटायरमेंट और मृत्यु के बाद उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती परंतु इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक कर्मचारी की मृत्यु के बाद, आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसला सुनाया और उसकी सारी अवैध संपत्ति राजसात करने के आदेश दिए।
MP NEWS- 2011 में लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई का फैसला
मामला नगर निगम के लिपिक नरेंद्र देशमुख का है। सन 2011 में जब वह उज्जैन में पदस्थ थे तब लोकायुक्त पुलिस ने उनके यहां पर छापामार कार्रवाई की थी। कार्रवाई के दिन तक उनकी वैधानिक आय से संपत्ति 1600000 रुपए पाई गई थी जबकि 1.9 करोड रुपए की संपत्ति को अवैध आरोपित किया गया था। लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई के बाद अपनी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की।
MP karmchari news- लिपिक के निधन के बाद भी चलता रहा भ्रष्टाचार का केस
इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रायल के दौरान आरोपी कर्मचारी नरेंद्र देशमुख अवसर दिया कि वह प्रमाणित करें कि उनके पास जो संपत्ति मिली है वह वैधानिक आयोजित की गई है, परंतु कोर्ट में संपत्ति को वैधानिक साबित नहीं किया जा सका। कार्यवाही के दौरान लिपिक नरेंद्र देशमुख की मृत्यु हो गई थी। उनकी संपत्ति उनकी पत्नी और दोनों बच्चों के नाम ट्रांसफर हो गई थी। कोर्ट डिसीजन दिया कि अवैध पाई गई पूरी संपत्ति राजसात कर ली जाए। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.