इंदौर। 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ उसके माता-पिता की मर्जी के बिना बात करना भी गुनाह हो गया है। माता पिता के आवेदन पर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ता है। केस डायरी कोर्ट में पेश करनी पड़ती है, परंतु इंदौर के जिला एवं सत्र न्यायालय में न्याय के अनुसंधान के लिए जो कुछ हुआ, वह इतिहास में दर्ज करने लायक है। इसके आधार पर परंपरा निर्धारित होनी चाहिए।
पुलिस FIR में दर्ज घटना का विवरण
अधिवक्ता शैलेंद्र द्विवेदी के मुताबिक एमआईजी थाना क्षेत्र में पुलिस ने 17 साल की युवती व उसके परिजन की शिकायत पर 20 सितंबर 2018 को रवि पारे नामक युवक पर केस दर्ज किया था। परिजन ने आरोप लगाया कि युवक पड़ोस में ही रहता है। रात 3 बजे युवती अपनी दादी के पास सोई थी। दरवाजा खुला ही रह गया था। युवक घर में घुसा और युवती से हरकत की। पुलिस ने परिजन की बताई कहानी के आधार पर केस दर्ज कर लिया। बाद में चालान पेश किया गया।
अधिवक्ता शैलेंद्र द्विवेदी के मुताबिक कोर्ट में ट्रायल प्रोग्राम शुरू हुआ तो युवती के बयान हुए। कोर्ट से विनती की गई कि युवती के बयान के वक्त माता-पिता को बाहर किया जाए। कोर्ट ने इसे स्वीकार किया। न्यायाधीश ने युवती को अपने पास बैठाया। जिसके कारण वह दबाव मुक्त हो गई। फिर उसने वह बताया जो पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था। युवती ने बयान दिए कि रवि उसका मित्र है। उसने किसी तरह की हरकत नहीं की। माता-पिता को उससे दोस्ती पसंद नहीं थी, इसलिए यह केस दर्ज करवा दिया। वहीं पुलिस ने रवि पर जो आरोप लगाए, उससे संबंधित एक भी ठोस सबूत पेश नहीं किया। कोर्ट ने इस केस को शंकास्पद मानते हुए एफआईआर निरस्त कर दी। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया indore news पर क्लिक करें.