जबलपुर। एक युवक की नियमानुसार रेलवे में नौकरी लगनी थी लेकिन रांझी के तहसीलदार द्वारा 4 महीने से परेशान किया जा रहा था। एसडीएम ने आदेश कर दिए थे लेकिन फिर भी तहसीलदार ने 4 महीने तक फाइल को अटका कर रखा। सब जानते हैं कि यह किस लिए किया गया था। कलेक्टर के सामने मामले का खुलासा हो गया। मात्र 2 घंटे में वह दस्तावेज बन गया, जो 4 महीने में नहीं बना था। युवक को मदद मिल गई है परंतु सिस्टम अभी भी गड़बड़ है। तहसीलदार के खिलाफ कलेक्टर ने कार्रवाई नहीं की है। यानी पब्लिक अभी भी परेशान होती रहेगी।
मामला क्या है, पूरी कहानी पढ़िए
बिलहरी में रहने वाले सागर पासी की मां मालती बाई पासी के नाम पर उसकी पैतृक भूमि थी। उस जमीन के कुछ हिस्से को सालों पहले रेलवे ने ब्राडगेज के लिए अधिग्रहीत कर लिया था। उस समय भू-अधिग्रहण की एवज में रेलवे में नौकरी का प्रावधान किया गया था। मालती बाई ने नौकरी के लिए अपने बेटे सागर का नाम रेलवे को भेजा था लेकिन रेलवे ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान स्पष्ट हुआ कि मालती बाई के नाम ऋण पुस्तिका अपडेट नहीं हुई है। रेलवे ने ऋण पुस्तिका अपडेट करवाने के लिए कहा। माल तिवारी ने तत्काल एसडीएम के सामने आवेदन प्रस्तुत किया। एसडीएम ने भी आदेश कर दिया लेकिन तहसीलदार ने ऋण पुस्तिका अपडेट नहीं की। 4 महीने से परेशान किया जा रहा था।
इधर रेलवे द्वारा डॉक्यूमेंट सबमिट करने के लिए दी गई लास्ट डेट पास आ गई थी। कलेक्टर डॉक्टर इलैयाराजा टी के सामने जैसे ही मामला आया उन्होंने गंभीरता से लिया और पटवारी एवं नायब तहसीलदार को बुलाकर तत्काल ऋण पुस्तिका अपडेट करने के लिए कहा। मात्र 2 घंटे में डॉक्यूमेंट तैयार हो गए। सागर की नौकरी में कोई व्यवधान नहीं है। निश्चित रूप से कलेक्टर ने एक अच्छा काम किया है परंतु पब्लिक को परेशान करने वाले तहसीलदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। यह चिंता की बात है, क्योंकि मामले का खुलासा होने के बाद भी यदि तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती तो कलेक्टर के नरम रुख के कारण अधिकारियों के हौसले बढ़ जाएंगे। हर व्यक्तित्व कलेक्टर के सामने नहीं आता ना। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.