ग्वालियर। किसी जमाने में अनुभवी डॉक्टर और अच्छे इलाज के लिए मध्य प्रदेश सहित सीमावर्ती उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक लोकप्रिय हुआ ग्वालियर का जयारोग्य चिकित्सालय, अब मिसमैनेजमेंट के कारण बदनाम हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से यहां जिंदा मरीजों को मारा जा रहा है। पिछले 4 दिन में दो घटनाएं सामने आ चुकी हैं। संभव है कुछ और भी हुई हो जिनकी शिकायत नहीं हुई।
JAH GWALIOR- जिंदा मरीज को मरा बताकर वेंटिलेटर हटा दिया
ताजा मामले में मरीज का नाम शिव कुमार उपाध्याय है, जो मुरैना के रहने वाले थे। अच्छे इलाज की उम्मीद में जयारोग्य चिकित्सालय आए थे। यहां वेंटिलेटर पर थे। इलाज के दौरान अचानक मौजूद जूनियर डॉक्टर और नर्सों ने वेंटिलेटर से हटा दिया एवं शिव कुमार उपाध्याय को मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने देखा तो शिव कुमार की धड़कन चल रही थी। उन्होंने हंगामा किया। बात अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ तक पहुंची। मरीज जिंदा था। फिर से वेंटिलेटर लगाया गया, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में जिंदगी की उम्मीद टूट चुकी थी। वेंटिलेटर लगाने के थोड़ी देर बाद शिव कुमार की मृत्यु हो गई।
4 दिन पहले जिंदा महिला को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था
अच्छे डॉक्टर की तलाश में उत्तर प्रदेश के महोबा से नरपत सिंह अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए ग्वालियर आए थे। महिला को ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया। 24 घंटे बाद शुक्रवार 4:30 बजे डॉक्टर ने महिला को मृत घोषित करके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बॉडी को डेड हाउस ले जाया गया। यहां फ्रीजर में रखने से पहले जब शोक में डूबे हुए नरपत सिंह ने अपनी पत्नी को हाथ लगाया तो वह चौक उठा। शरीर में हलचल हो रही थी। महिला जिंदा थी।
जानलेवा लापरवाही पर अस्पताल प्रशासन क्या करता है
उत्तर प्रदेश की महिला की मृत्यु के मामले में अस्पताल प्रशासन में जिम्मेदार डॉक्टर को नोटिस देकर जवाब मांगा है लेकिन 4 दिन बाद समाचार लिखे जाने तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। ताजा मामले में 2 नर्सों को सस्पेंड किया गया है और दो जूनियर डॉक्टरों को नोटिस दिया गया है। उल्लेख करना प्रासंगिक है के डॉक्टर जूनियर हैं फिर भी सस्पेंड नहीं किया गया है।
एक डॉक्टर कहते हैं परिजन परेशान करें तो मरीज को मार दो
कुछ सालों पहले एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें मरीज के परिजनों द्वारा रात के समय डॉक्टर को इलाज के लिए बुलाने पर, एक डॉक्टर ने मोबाइल फोन पर अपने जूनियर डॉक्टर को निर्देशित किया था कि यदि मरीज के परिजन ज्यादा परेशान करें तो मरीज को मार देना। इत्तेफाक से जिस मोबाइल पर बात की जा रही थी वह मरीज के परिजन का था। सालों बीत गए, उस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.