भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टरों को एक नया टास्क दे दिया है। पहली नजर में तो यह बड़ा अच्छा लगता है परंतु यदि अपन मध्य प्रदेश की प्रशासनिक परंपराओं की तरफ देखेंगे, एक अजीब सी स्थिति निर्मित हो जाएगी। आइए पढ़ते हैं मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को क्या टारगेट दिया है और कल्पना करते हैं कि इसके बाद कुछ कलेक्टर क्या कर सकते हैं:-
मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को सोशल मीडिया के बारे में क्या टास्क दिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की तारीफ करते हुए उनकी पूरी टीम को बधाई दी। यह बधाई इसलिए दी गई क्योंकि इंदौर कलेक्टर के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर फॉलोअर्स की संख्या 1 लाख हो गई है। बधाई के साथ साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टरों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए। यह कोई आधिकारिक आदेश नहीं है, निर्देश भी नहीं है लेकिन क्योंकि मुख्यमंत्री ने कहा है इसलिए कलेक्टरों को करना ही होगा। कुछ कलेक्टर तो कल से ही प्लानिंग में लग गए हैं।
मुख्यमंत्री का लक्ष्य पूरा करने कलेक्टर क्या कर सकते हैं
कलेक्टरों के पास सिर्फ दो ही रास्ते हैं। या तो इंदौर की तरह जिले भर में प्रशासनिक गतिविधियों को तेज किया जाए और जनता से जुड़े हुए कामों एवं जनता से संबंधित सूचनाओं को सबसे पहले ट्विटर पर जारी किया जाए। सोशल मीडिया अकाउंट पर अच्छे लोगों को प्रोत्साहित किया जाए और मेहनत करने वाले कर्मचारियों के फोटो प्रकाशित किए जाएं। यह बहुत लंबी प्रक्रिया है। इंदौर के ट्विटर अकाउंट पर जितने भी फॉलोअर्स दिखाई दे रहे हैं वह कलेक्टर मनीष सिंह की मेहनत का नतीजा नहीं है, और फिर इंदौर नंबर वन है, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है।
अब सवाल उठता है कि क्या दूसरे सभी जिलों के कलेक्टर भी इतनी लंबी प्रक्रिया का पालन करें। चुनाव तो 2023 में है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जनता के बीच सोशल मीडिया पर सुशासन दिखाई दे। इस बहाने उनका फोटो बिना सरकारी पैसा खर्च किए जनता के बीच बार-बार वायरल होता रहे। लक्ष्य स्पष्ट है कि 100000 या इससे ज्यादा फॉलोअर्स चाहिए और कम समय में चाहिए। ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश की एक सर्वमान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायत के सचिव और रोजगार सहायकों इत्यादि में लक्ष्य वितरित कर दिए जाएं। एक कर्मचारी 1 दिन में कम से कम 10 फॉलोअर्स बनाएगा। घर घर जाएंगे। उनके मोबाइल में ट्विटर एप्लीकेशन डाउनलोड करवाएंगे। फिर कलेक्टर के अकाउंट को फॉलो करवाएंगे। स्क्रीनशॉट लेकर व्हाट्सएप करेंगे।
जनपद या तहसील स्तर का अधिकारी अपने डिपार्टमेंट के जिले के सबसे बड़े अधिकारी को डिटेल रिपोर्ट भेजेगा। जिले के विभागीय अधिकारी MIS बनाकर कलेक्टर ऑफिस भेजेंगे। जनसंपर्क विभाग का एक कर्मचारी MIS को वेरीफाई करेगा। यदि किसी भी कर्मचारी द्वारा प्राप्त की गई फॉलोअर्स की संख्या में कमी आती है यानी लोग फॉलो करने के बाद कलेक्टर को अनफॉलो कर देते हैं, तो कर्मचारी के खिलाफ लापरवाही एवं अनुशासनहीनता कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद भी यदि लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो सभी शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को काम पर लगाने का आदेश जारी किया जाएगा, और उसके बाद बवाल मच जाएगा। ✒ उपदेश अवस्थी