युद्ध के कारण दुनिया भर में सूरजमुखी के तेल की सप्लाई पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि सूरजमुखी के मामले में दुनिया का लीडर है। इस समाचार का दूसरा पहलू यह है कि भारत के किसानों के पास एक अवसर है। यदि वह सूरजमुखी की फसल करते हैं तो उन्हें अच्छा मुनाफा होगा, क्योंकि बाजार से सूरजमुखी की डिमांड कम नहीं होने वाली, और भारत सूरजमुखी का निर्यातक देश बन सकता है।
पहले आंकड़ों पर बात करते हैं
दुनिया भर में सूरजमुखी का सबसे ज्यादा उत्पादन (13,626,890 टन) में किया जाता है।
सूरजमुखी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (11,010,197 टन) देश रूस है।
भारत की गिनती टॉप टेन में भी नहीं आती।
रूस मिलकर दुनिया भर में सबसे ज्यादा सूरजमुखी का निर्यात करते हैं।
दोनों देशों का कुल उत्पादन, टॉप टेन में मौजूद शेष 8 देशों के टोटल से भी ज्यादा है।
बताने की जरूरत नहीं की है ऐसी विषम परिस्थिति में फसलें बर्बाद हो चुकी होंगी और आने वाले 2-3 सालों तक निर्यात प्रभावित रहेगा।
भारतीय किसानों के सामने नया अवसर
भारत के ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती करना पसंद करते हैं परंतु पिछले कुछ सालों में किसानों ने फायदे वाली खेती करने की शुरुआत की है।
दुनिया को 13,626,890 टन सूरजमुखी की जरूरत है, भारतीय किसान इसकी पूर्ति कर सकते हैं।
सूरजमुखी की फसल किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है।
जो मिट्टी ज्यादा पानी सोख लेती है, वह मिट्टी सूरजमुखी के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
सूरजमुखी की फसल को वर्ष में 3 बार रबी, खरीफ एवं जायद सीजन में बोया जा सकता है।