प्रेस या समाचार पत्रों का प्रकाशन ब्रिटिश काल से ही चला आ रहा है लेकिन भारतीय संविधान के प्रारंभ में प्रेस को मौलिक अधिकार नहीं था इसका विकास वर्तमान की स्थिति को देखते हुए एवं जनता की आवाज राज्य तक रखने, भ्रष्टाचार की पोल खोलने एवं सरकार द्वारा बनाई गई गलत विधि को जनता के सामने लाने के लिए न्यायपालिका द्वारा प्रेस को मूल अधिकार दिया गया है एवं न्यायपालिका ने ही पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ लिखा है। पढ़ते हैं कुछ महत्वपूर्ण जजमेंट जो भारत में प्रेस को भ्रष्टाचार के खिलाफ पावरफुल बनाते हैं:-
1. इंडियन एक्सप्रेस न्यूज पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य:-
यह प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण मामला है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने वाली समस्त विधि या एवं प्रशासनिक कार्रवाई अवैध घोषित किये जाने योग्य है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ही एक अंग माना गया है।
2. ब्रजभूषण बनाम स्टेट ऑफ दिल्ली:-
इस मामले में ईस्ट पंजाब सेफ्टी एक्ट, 1950 की धारा 7(1)(ग) के अंतर्गत एक आदेश जारी कर एक समाचार पत्र की यह निर्देश दिया गया कि वह साम्प्रदायिक मामले एवं पाकिस्तान से सम्बंधित समाचारों, चित्रों, व्यंग्य-चित्र आदि का प्रकाशन राज्य सरकार की अनुमति से पूर्व नहीं करे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह अभिनिर्धारित किया कि इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के अंतर्गत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अतिक्रमण एवं असंवैधानिक मानते है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं जिस पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगा जा सकता है।
3. के. यू. मंडल बनाम बैनेट कोलमेन एन्ड कम्पनी लिमिटेड:-
उक्त मामले में प्रेस द्वारा एक सीमेंट घोटाले को उजागर किया गया था, प्रकाशन पूर्ण सावधानी के साथ किया गया था। प्रेसकर्मी मौके पर गए थे वहां फ़ोटो भी लिए एवं स्टाक को भी देखा। इस प्रकाशन को प्रेस स्वतंत्रता के अधीन मानते हुए मानहानि नहीं ठहराया गया।
4. वीरेन्द्र बनाम स्टेट ऑफ पंजाब:-
उक्त मामले में प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए मुख्य न्यायाधीश दास ने कहा कि किसी भी समाचार पत्र को सामयिक महत्व के विषय पर अपने विचार प्रकाशित करने से रोकना वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक गंभीर अतिक्रमण हैं।
5. रमेश थापर बनाम स्टेट ऑफ़ मद्रास:-
इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक राज्य में प्रकाशित समाचार पत्र को दूसरे राज्य में जाने से नहीं रोका जा सकता है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता में उसका प्रचार प्रसार आदि भी सम्मलित हैं। यदि प्रचार प्रसार पर किसी भी प्रकार से अंकुश लगा दिया जाता है तो उसके समाचार पत्र का और इस स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
6. सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड बनाम सिक्युरिटीज एण्ड एक्सचेंज बोर्ड़ ऑफ इंडिया:-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि वाक़् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत जानने का भी अधिकार एवं न्यायिक कार्यवाही को प्रकाशित करने का अधिकार भी सम्मिलित है। लेकिन अनुच्छेद 19(2) के अनुसार रोक होगी (नोट अनुच्छेद 19(2) को हमने अपने लेख में पूर्व में बता दिया हैं)।
7. बैनेट कोलमेन एण्ड कम्पनी बनाम भारत संघ:-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(क) में प्रदत्त वाक़् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक अभिन्न अंग हैं। प्रेस की बिना किसी कारण के पूर्व नियंत्रण नहीं लगाया जा सकता है उसे परिचालन का अधिकार प्राप्त है। अतः कह सकते हैं कि समाचार पत्रों के परिचालन पर प्रतिबंध लगाने वाली विधि असंवैधानिक होगी।कोई भी सरकार अखबारी कागज़ नीति वाक़् ओर अभिव्यक्ति के मूल अधिकार को कम नहीं कर सकती है।
8. प्रभुदत्त बनाम भारत संघ:-
उक्त मामले में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि प्रेस की स्वतंत्रता में सूचनाओ तथा समाचारों को जानने का अधिकार(Right to know) भी अधिकारी प्राप्त है। प्रेस को व्यक्तियों से साक्षात्कार के माध्यम से सूचनाएं जानने की स्वतंत्रता हैं।
उपर्युक्त महत्वपूर्ण जजमेंट से हम कह सकते हैं कि कार्यपालिका, विधयिका एवं न्यायपालिका के अलावा प्रेस को लोकतंत्र का रक्षा करता है एवं देश का नागरिक भी प्रेस से आशा करता है कि वह लोगों की निष्पक्ष एवं सत्य पर आधारित खबरों को दिखाए।
संक्षिप्त रूप में हम वाक़् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत क्या क्या आते हैं जानते हैं किसी व्यक्ति के विचारों को दूसरे के समक्ष रखना वाक़् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं ये निम्न प्रकार से हो सकती है:- विचार अभिव्यक्त करने के समस्त माध्यम, भाषण, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तिकाएं, पोस्टर, शब्द, अंक, चिन्ह, संकेत, शांति प्रदर्शन,शान्ति धरना आदि सम्मलित हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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