नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध भूमि में भारत के 20000 MBBS विद्यार्थी फंसे हुए थे। सबको पता चला कि लोग कम फीस के कारण रूस और यूक्रेन जैसे देशों में MBBS डिग्री कोर्स करने के लिए जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि विदेशों से MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उनमें से 80% डॉक्टर भारत में प्रैक्टिस नहीं कर पाते।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संसद में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार विदेशों से डिग्री प्राप्त करके भारत में प्रैक्टिस करने से पहले MBBS पास डॉक्टरों को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) पास करना होता है। पिछले 3 साल के आंकड़े बताते हैं कि कुल 85722 विदेशी MBBS डिग्री धारी डॉक्टरों ने भारत में प्रैक्टिस करने के लिए FMG एग्जामिनेशन में पार्टिसिपेट किया लेकिन मात्र 17812 ही पास हो पाए। यानी कि मात्र 20% के आसपास डॉक्टरों को भारत में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला।
बड़ा सवाल- FMGE फेल MBBS डिग्री होल्डर्स क्या करते हैं
भारत से प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में NEET क्लियर करने वाले स्टूडेंट्स विदेशों में MBBS की पढ़ाई करने जाते हैं, क्योंकि यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान में पूरी पढ़ाई का खर्चा औसत 2500000 रुपए आता है। इसी प्रकार बांग्लादेश में 3000000 और फिलीपींस में 3500000 रुपए आता है। इस खर्चे में पढ़ाई के साथ हॉस्टल और खाना-पीना भी शामिल है। जबकि भारत में 1 साल का खर्चा 25 लाख रुपए आता है यानी पूरे साल में 1.25 करोड़ रुपए।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि विदेशों से MBBS सी डिग्री पास करके भारत लौटने वाले 67910 डॉक्टर जो FMG EXAM में फेल हो जाते हैं। वह क्या करते हैं। कहीं यह सारे डॉक्टर अवैध रूप से प्रैक्टिस तो नहीं कर रहे। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.