आज कल हर व्यक्ति अपना स्वयं का डाटा अपने लैपटॉप या कंप्यूटर प्रोग्राम में सेव रखते हैं वह अपनी फाइल को एक फोल्डर बनाकर सेव कर देते हैं। किसी भी शासकीय या अशासकीय विभाग में या शिक्षण संस्थाओं में कम्प्यूटर के बिना कुछ भी नहीं होता है सभी प्रकार के रिकॉर्ड, फाइल, कम्पनी, संस्था, विभागीय आदि की डिजाइनें, फ़ोटो, कोड चिन्ह आदि सेव रखे जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी कंप्यूटर प्रोग्राम या कंप्यूटर में सेव किए गए डाटा को एक्सेस करता है, तो कब ऐसा करना अपराध होगा। पढ़िए:-
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 65 की परिभाषा:-
जो कोई व्यक्ति जानबूझकर कर किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम, कम्प्यूटर प्रणाली, या कम्प्यूटर नेटवर्क के उपयोग में लाए जाने वाले कम्प्यूटर स्त्रोत कोड अर्थात कम्प्यूटर प्रोग्राम की सूची, कम्प्यूटर कमाण्ड, ले-आउट, कार्यक्रम-विश्लेषण, डाटा-बेस आदि को छिपायेगा, नष्ट करेगा, फेरबदल करेगा या किसी व्यक्ति से ऐसा कार्य करवाएगा वह व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
दण्ड का प्रावधान:- यह अपराध समझोता योग्य है, उसी न्यायालय द्वारा जहाँ अपराध का विचारण होता है एवं यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम की धारा 78 के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पंक्ति का पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या दो लाख रुपए का जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com