भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनाव नजदीक आ रहे हैं और एक बार फिर व्यापम घोटाले का हिसाब किताब पेश किया जा रहा है। दावा किया गया है कि 7 साल पहले कुल 1355 शिकायतों में से मात्र 423 शिकायतों पर जांच के आदेश दिए गए थे लेकिन जांच आज तक पूरी नहीं हुई। SIT ने 217 मामले सीबीआई को हस्तांतरित किए थे जिनमें से मात्र 43 मामलों में चालान पेश किया गया।
मध्य प्रदेश व्यापम घोटाला- विधानसभा में गृह मंत्री द्वारा कई सवालों का एक जवाब
मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक गण प्रताप ग्रेवाल, हर्ष गेहलोत, कुणाल चौधरी और मनोज चावला द्वारा व्यापम घोटाले से संबंधित सवाल पूछे गए थे। ढेर सारे सवालों का गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने सिर्फ एक जवाब दिया 'जांच प्रचलन में है।'। दावा किया गया है कि कुल 1355 शिकायतों में से 628 शिकायतों को तो प्राप्त होते ही बंद कर दिया था। 197 शिकायतें पुलिस ने जांच प्रक्रिया में शामिल की थी जिनमें से 70 को बंद कर दिया। लंबी चौड़ी लिस्ट है लेकिन निष्कर्ष केवल इतना है कि सीबीआई जांच के नाम पर व्यापम घोटाले से संबंधित सभी शिकायतों पर जांच बंद कर दी गई। सीबीआई ने भी चुनिंदा मामलों में ही चालान पेश की है। यानी कि घोटाले की जांच में भी एक और घोटाला हो गया।
एमपी व्यापम घोटाला- जिम्मेदार तो कमलनाथ हैं
इस मामले में यदि ईमानदारी से कहा जाए तो वर्तमान परिस्थिति के लिए जिम्मेदार कमलनाथ है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार व्यापम घोटाले के मुद्दे पर बनी थी। चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया गया था कि व्यापम घोटाले की निष्पक्ष जांच कांग्रेस सरकार की पहली प्राथमिकता होगी परंतु कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही व्यापम घोटाले से संबंधित सभी मामलों को पेंडिंग में डाल दिया। दस्तावेज इस बात के गवाह हैं। शिवराज सिंह सरकार में व्यापम घोटाला हुआ और कमलनाथ सरकार में व्यापम घोटाले की जांच को दबाया गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.