जबलपुर। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने हाईकोर्ट में वचन दिया है कि अगले 1 महीने में होमगार्ड सैनिकों का कॉल ऑफ अवधि का बकाया 2 महीने का वेतन भुगतान कर दिया जाएगा। मध्यप्रदेश शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बुधवार दिनांक 2 मार्च 2022 को उच्च न्यायालय में यह अभिवचन दिया।
सुप्रीम कोर्ट से केस जीत चुके हैं होमगार्ड सैनिक
होमगार्ड सैनिकों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ अवमानना की याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता विकास महावर ने कोर्ट को अवगत कराया कि वर्ष 2010 में होमगार्ड कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नियमितिकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने की प्रार्थना की गई थी। 2011 में हाई कोर्ट ने आंशिक रूप से याचिकाएं स्वीकार कर राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि होमगार्ड्स की सेवा नियम बनाये जाएं व उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को यथावत रखा।
हाईकोर्ट में अवमानना याचिका क्यों दाखिल की गई
होमगार्ड सैनिकों ने अपनी याचिका में बताया कि, इसके बावजूद सरकार ने 2016 में नियम बनाये और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत पुनः वर्ष में दो माह का बाध्य काल आफ का प्रावधान कर दिया क्या। हाई कोर्ट के स्थगन के बावजूद विभाग ने सैनिकों को दो माह का काल आफ दे दिया और वर्ष में केवल दस माह ही कार्य कराया। वर्ष 2020 में हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश को स्थगित कर दिया था। इसके बावजूद विभाग ने आदेश का पालन नही किया तो ये अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं।
शिवराज सिंह सरकार ने पिछला अभिवचन अब तक नहीं निभाया
17 दिसम्बर 2021 को हाई कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से अभिवचन दिया गया कि लम्बित याचिकाओं के निराकरण तक होमगार्ड सैनिकों को काल आफ नहीं किया जाएगा। उन्हें पूरे साल काम दिया जाएगा। साथ ही जिन्हें पूर्व में दो माह के लिए काल आफ किया गया था, उन्हें उस अवधि का बकाया वेतन भी दिया जाएगा। जवाब को रिकार्ड पर लेकर अवमानना याचिकाओं का पटाक्षेप कर दिया था।
अभिवचन के बाद भी याचिका का निराकरण नहीं हुआ
अधिवक्ता महावर ने कोर्ट को बताया कि उक्त अभिवचन देने के बावजूद याचिकाकर्ताओं को दो माह का काल आफ देकर बैठाया गया। इन्हें हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उक्त अवधि का वेतन नहीं दिया गया। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण नहीं किया बल्कि इस आधार पर मामले की सुनवाई एक माह बाद निर्धारित कर दी। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया karmchari news पर क्लिक करें.