जबलपुर। पेंशन के मामले में कोई भी बैंक पेंशन नियमों के उल्लंघन में, वसूली करने की अधिकारिता नही रखता, इसके लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है जिसका पालन करना होता है। इसी के चलते मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की छिंदवाड़ा ब्रांच द्वारा वन विभाग के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन से शुरू की गई वसूली को स्थगित कर दिया।
श्री गजानंद सूर्यवंशी, दिनाँक 28/02/2006 को वनपाल पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, छिंदवाड़ा शाखा से पेंशन प्राप्त कर रहे थे। अचानक पेंशन कम किये जाने एवम वसूली प्रारंभ किये जाने पर, बैंक से संपर्क करने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके विरुद्ध 1,94,489 रुपये की वसूली है। यद्दपि कोई कारण नही बताया गया। गणना पत्रक एवं वसूली आदेश दिनांक 21/12/20 के अनुसार, पेंशन से 5000 रुपये मासिक वसूली भी प्रारम्भ कर दी गई थी।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, छिन्दवाड़ा शाखा द्वारा परिवार पेंशन से की जा रही वसूली से पीड़ित होकर श्री सूर्यवंशी द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली गई थी। श्री सूर्यवंशी के वकील श्री अमित चतुर्वेदी, उच्च न्यायालय, जबलपुर के अनुसार बैंक पेंशन नियमों के उल्लंघन में, वसूली करने की अधिकारिता नही रखता है। जिला पेंशन अधिकारी ही पेंशन नियमों के प्रावधानों के अनुसार, पेन्शनर को युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर देने के बाद, वित्त विभाग की सहमति से ऐसा कर सकता है। पेंशन में कमी एवं वसूली दोनों ही पेंशन नियमों का अतिक्रमण है।
कोर्ट द्वारा टिप्पणी की गई कि वर्ष 2006 में निर्धारित पेंशन से 15 साल बाद वसूली पूर्णतः अनुचित है, जबकि याचिकाकर्ता की आयु 76 वर्ष हो गई है। अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी के तर्कों से प्रथम दृष्टया सहमत होते हुए हाई कोर्ट जबलपुर ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, छिंदवाड़ा शाखा, जिला पेन्शन अधिकारी छिंदवाड़ा, प्रमुख सचिव वित्त विभाग, को नोटिस जारी करते हुए, बैंक के द्वारा जारी वसूली आदेश को स्टे कर दिया है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.