जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर याचिका श्रीमती दीप्ति गुप्ता विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन में माननीय जस्टिस श्री विवेक अग्रवाल ने आवेदकों को द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ 2 महीने के अंदर प्रदान करने का आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एड सत्येंद्र ज्योतिषी ने माननीय न्यायालय के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि याचिकाकर्ता उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कर्रापुर जिला सागर में पदस्थ है। याचिकाकर्ता की प्रथम नियुक्ति दिनांक 3-2-1988 को हुई थी। 12 वर्ष की सेवाओं के बाद प्रथम क्रमोन्नति का लाभ प्रदान हो गया था। उसके पश्चात 24 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर आवेदिका को दिनांक 11-7-2018 को द्वितीय क्रमोन्नति प्रदान की गई थी।
परंतु दिनांक 18-7-2019 को प्राचार्य द्वारा एक पत्र जारी कर यह कहा गया कि आपने पदोन्नति का लाभ नहीं लिया अतः आपको द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ प्रदान नहीं किया जा सकता। आवेदिका के सर्विस बुक रिकॉर्ड में यह अंकित कर दिया गया कि आपने प्रधानाध्यापक पद पर अपना प्रमोशन स्वीकार नहीं किया। अतः आपको द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इसी तरह का एक और प्रकरण श्रीमती रेखा शर्मा विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन में भी माननीय न्यायालय ने यह आदेशित किया था कि पदोन्नति का लाभ नहीं लेने से आप उनको क्रमोन्नति से वंचित नहीं कर सकते। इस तरह माननीय न्यायालय में प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अन आवेदक गणों को यह आदेशित किया है कि 2 महीने के अंदर आवेदिका को द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ प्रदान करें। अगर अन आवेदक गणों 2 महीने के अंदर आवेदिका को इसका लाभ प्रदान नहीं किया तो उन्हें 9% ब्याज की दर से उक्त राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.