ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायालय ने ओलावृष्टि से पीड़ित किसान को सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा दिलाने के बदले रिश्वत मांगने वाले पटवारी विनोद गौड़ और उसके निजी सहयोगी बिजेंद्र राजौरिया को चार-चार साल की जेल की सजा सुनाई है। दोनों को जेल भेज दिया गया है।
किसान रामबरन गुर्जर ने मोती महल में स्थित लोकायुक्त कार्यालय में दिनांक 4 अप्रैल 2016 को शिकायत की थी। किसान ने बताया था कि उसकी फसल ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो गई है। मुआवजे के लिए बेहट तहसील के जखारा दलेली हल्का के पटवारी विनोद गौड़ ने विजेंद्र राजोरिया नाम के एक व्यक्ति को मिलवाया, जिसने मुआवजा मंजूर करने के बदले ₹10000 रिश्वत मांगी।
किसान ने लोकायुक्त को बताया कि पटवारी विनोद गौड़ ने बिजेंद्र राजौरिया को अपने निजी सहायक के तौर पर नियुक्त किया हुआ है। वही पूरे इलाके में किसानों से रिश्वत की वसूली करता है। रिश्वत के लिए बातचीत की रिकॉर्डिंग भी शिकायत के साथ प्रस्तुत की थी। प्लानिंग के तहत दिनांक 5 अप्रैल 2016 को विजेंद्र राजोरिया को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया और उसे नियुक्त करने वाले पटवारी विनोद के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
विशेष सत्र न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपराध का घटित होना पाया और पटवारी एवं उसके निजी सहयोगी को अपराध में संलिप्त हो ना पाया। इस आधार पर न्यायालय ने दोनों को चार-चार साल जेल की सजा सुनाई है। सजा सुनाते ही, दोनों को हिरासत में ले लिया गया और जेल भेज दिया गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.