भोपाल। उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के चुनाव परिणामों ने मध्य प्रदेश के लिए एक अच्छा काम कर दिया। भारतीय जनता पार्टी के A2Z शिवराज सिंह चौहान को यह समझ में आ गया कि चुनाव जीतने के लिए जातिवाद जरूरी नहीं है। वरना मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां खुद को सबसे बड़ा जातिवादी साबित करने पर तुली हुई थीं।
पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से नेताओं ने क्या सीखा
उत्तर प्रदेश सहित 4 राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब देश में तुष्टीकरण की राजनीति नहीं चलेगी। आतंकवाद और गुंडागर्दी करने वालों का राजनीति में स्थान नहीं है। उल्लेखनीय है कि भारत में जातिवाद के नाम पर राजनीति करने वाली सबसे बड़ी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जातिवाद का कार्ड खेलने के कारण ही समाजवादी पार्टी दौड़ में पीछे रह गई। भाजपा के नेताओं को यह भी समझ में आ गया कि पंजाब में उनसे क्या गलती हो गई है, जो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नहीं करना है।
मध्य प्रदेश के तो बजट में भी जातिवाद दिखा
निर्धन नागरिकों के कल्याण और निर्धन छात्रों को अच्छी शिक्षा के लिए कभी कोई विरोध नहीं करता लेकिन चुनाव में वोट के लिए संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग मध्यप्रदेश में कभी पसंद नहीं किया जाता। कमलनाथ OBC के सहारे सत्ता में आना चाहते हैं और शिवराज सिंह चौहान ने OBC, SC, ST के अलावा आदिवासी जनजातियों में भी अलग-अलग मुद्दे बना रखे हैं। सरकारी कागजों में कुछ भी लिखा जाए लेकिन सब जानते हैं कि दोनों नेताओं की दौड़ किस तरफ है। उम्मीद है चार राज्यों के चुनाव परिणाम, दोनों नेताओं की रणनीति में बड़ा बदलाव लाएंगे। ✒ चक्रदेव डंगौरिया