भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के दोनों प्रमुख पदों (प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष) कब्जा किए बैठे कमलनाथ ने देश में कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पद लेने से इनकार कर दिया था। अब चार राज्यों में सूपड़ा साफ होने के बाद बयान दिया है कि हमारा नेतृत्व इन परिणामों की समीक्षा करेगा, मंथन करेगा और हम देखेंगे कि कमी कहाँ रह गयी।
कुपोषित कांग्रेस को संभाल सकते थे कमलनाथ
कांग्रेस का बच्चा-बच्चा जानता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में घायल हुई कांग्रेस पार्टी अपने दम पर फिर से खड़ी नहीं हो सकती थी। उसे एक्स्ट्रा एनर्जी की जरूरत थी। सबको दिखाई दे रहा था कि कांग्रेस पार्टी कुपोषण का शिकार हो गई है। हाईकमान ने भी कमलनाथ को दिल्ली बुलाया था, लेकिन कमलनाथ की जिद है 'मध्य प्रदेश नहीं छोडूंगा'। उनके कैंप में कोई नहीं बताएगा कि बस यही कमी रह गई। यदि समय रहते पार्टी को संभाल लेते तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।
राहुल के बाद प्रियंका भी फेल, कहानियों में रह रही कांग्रेस की सफलता
पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी की कमान अघोषित रूप से प्रियंका गांधी के हाथ में थी। सुतल दावा करते हैं कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह वाले विवाद में फाइनल डिसीजन प्रियंका गांधी ने लिया था। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने पूरी ताकत लगा दी थी। लड़की हूं लड़ सकती हूं, कैंपेन के बाद लग रहा था कि इस बार कुछ नया हो जाएगा। लेकिन प्रियंका गांधी भी फेल हो गई। गांधी परिवार में कोई बचा नहीं। नया चेहरा सामने नहीं आ सकता। कुल मिलाकर कांग्रेस की सफलता अब कहानियों में रह जाएगी। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.
हमारा नेतृत्व इन परिणामों की समीक्षा करेगा , मंथन करेगा और हम देखेंगे कि कमी कहाँ रह गयी।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 10, 2022