भोपाल। जरा सोचिए, सोशल मीडिया पर लाखों लोग एक साथ लॉगिन होते हैं, उसके सर्वर को कुछ नहीं होता। यहां तक की दुकानदारों का हिसाब किताब रखने वाले फ्री ऑनलाइन सॉफ्टवेयर का सर्वर कभी बंद नहीं होता लेकिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करने वाला सरकारी सर्वर बार-बार ठप हो जाता है। यह इन्वेस्टिगेशन का सब्जेक्ट है कि कंप्यूटर सरवर में डिस्कनेक्शन की प्रॉब्लम है या उसे जानबूझकर ठप किया जाता है।
मध्य प्रदेश ऑनलाइन प्रॉपर्टी रजिस्ट्री- सबसे पहले समस्या पर एक नजर
मार्च के महीने में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है। यह मार्च के महीने का लास्ट वीक है। पिछले 3 दिनों से रजिस्ट्री का सर्वर बार-बार ठप हो रहा है। शुक्रवार को सुबह से ही सर्वर स्लो चल रहा था और दोपहर में 1 बजे से 4 बजे तक तो पूरी तरह ठप ही रहा। नतीजा, शुक्रवार को शहर में जिन 300 से ज्यादा लोगों ने स्लॉट बुक कराया था, उनमें से ज्यादातर की रजिस्ट्री नहीं हो पाई। देर रात तक रजिस्ट्री दफ्तर में काम होता रहा और पिछले तीन दिनों से सर्वर बार-बार ठप होने के कारण जो रजिस्ट्री नहीं हो पा रहीं, उन्हें कंपलीट करने का काम चलता रहा।
सबसे महत्वपूर्ण सवाल- प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के दफ्तर में ऑफिस टाइम के बाद काम क्यों होता है
जानते तो सभी हैं लेकिन डाक्यूमेंट्स में साबित करना भी जरूरी है। कितनी अजीब बात है कि लोकायुक्त पुलिस कभी शाम के समय छापामार कार्रवाई नहीं करती। मध्य प्रदेश शासन के कुछ विभाग इतने अच्छे हैं कि ऑफिस टाइम खत्म हो जाने के बावजूद वहां 100% उपस्थिति के साथ काम चलता है। कोई कर्मचारी श्रम कानूनों की दुहाई देते हुए छुट्टी की मांग नहीं करता। क्या बात है कि राजधानी भोपाल के वरिष्ठ जिला पंजीयक मुकेश श्रीवास्तव अपने ऑफिस में होते हैं लेकिन शाम होते ही मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लेते हैं। क्या कारण है कि सुबह से शाम तक प्रॉपर्टी रजिस्ट्री वाले सॉफ्टवेयर का सर्वर स्लो चलता है लेकिन शाम होते ही उसकी स्पीड हाई हो जाती है। भोपाल में दिन भर में 250 रजिस्ट्री नहीं हो पाई, शाम को 520 हो गई। पूरे प्रदेश में 6300 हो गई।
कंप्यूटर सर्वर क्या होता है, कैसे काम करता है- वह जानकारी जो जनता को जानना जरूरी है
एक कंप्यूटर जिसमें बहुत बड़ी हार्ड डिस्क होती है और जिसकी रैम भी बहुत ज्यादा होती है, उसे कंप्यूटर सर्वर कहा जाता है। ऑनलाइन सॉफ्टवेयर संचालित करने वाले जितने भी लोग लॉगिन करते हैं, उनका पूरा डाटा उनके कंप्यूटर में नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर के सर्वर में सेव हो जाता है। इस प्रोसीजर को रियल टाइम बनाए रखने के लिए बैंडविथ की जरूरत होती है। यह सब कुछ इतना सस्ता है कि फ्री में न्यूज़, एंटरटेनमेंट, चैटिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट भी डिमांड के हिसाब से बैंडविथ उपलब्ध कराती हैं। सवाल यह है कि मध्य प्रदेश सरकार का कंप्यूटर सर्वर क्या किसी झोपड़ी में लगा है। क्या उसे गरीबी रेखा के नीचे वाला बजट आवंटित किया गया है। जिस सॉफ्टवेयर से सरकार को पैसा मिलता है, उसका सर्वर खराब कैसे हो सकता है।
स्लॉट बुकिंग पर TAX फिक्स कर दो, सर्वर अपने आप चलने लगेगा- समस्या का समाधान
इस समस्या का सबसे सरल समाधान यह है कि स्लॉट बुकिंग की तारीख को ही फाइनल माना जाए। स्लॉट बुकिंग की तारीख के आधार पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री का टैक्स फाइनल किया जाए। सीधी सी बात है, यदि कंप्यूटर सर्वर स्लो चल रहा है तो गलती सरकार की है। भुगतान रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति क्यों करेंगे। सरकार चाहे तो रजिस्ट्री अगले वित्तीय वर्ष के मार्च के महीने में करें, लेकिन टैक्स का निर्धारण उस दिन के आधार पर होना चाहिए जिस दिन उपभोक्ता ने आवेदन किया। स्लॉट बुकिंग आवेदन के साथ ही TAX जमा करा लेना चाहिए। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.