भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों और जमीदारों के लिए गुड न्यूज़ है। यदि आपको ही खेत, फार्म हाउस या जमीन खरीद रहे हैं तो आपको उसमें लगे हुए पेड़ों के लिए अलग से रजिस्ट्री फीस नहीं देनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि पेड़ों को प्रॉपर्टी माना जाता है और अब से पहले तक सरकार जमीन के साथ पेड़ों की खरीद बिक्री पर टैक्स लिया करती थी।
मध्यप्रदेश में सागौन, साल, शीशम, साजा के अलावा फलदार पेड़ों की लगभग सभी प्रजातियां सरकारी दस्तावेजों में संपत्ति की तरह दर्ज की जाती है। जब कोई जमीन की खरीद बिक्री होती है तो उसमें पेड़ों का उल्लेख किया जाता है। कलेक्टर गाइडलाइन के लिए बनाए उपबंध में 2011-12 में निजी जमीन पर लगे पेड़ की रजिस्ट्री कराने पर शुल्क देना शामिल किया गया था, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है।
MP NEWS- वन विभाग और सब रजिस्ट्रार टैक्स बढ़ाना चाहते थे
पंजीयन विभाग के अफसरों ने बताया कि वन विभाग ने हाल में पेड़ों की रजिस्ट्री के लिए तय कीमत में वृद्धि करने का प्रस्ताव दिया था। साथ ही सब रजिस्ट्रारों ने सागौन और इमरती पेड़ की रजिस्ट्री में 10-10 हजार रुपए बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। वन विभाग के प्रस्ताव के अनुसार अभी तक सागौन के पेड़ की रजिस्ट्री के लिए 50 हजार प्रति पेड़ शुल्क देना पड़ता था। वन विभाग ने इसे बढ़ाकर 78 हजार रुपए प्रति पेड़ करने का प्रस्ताव दिया था, जबकि पंजीयन विभाग की तरफ से 60 हजार रुपए प्रति पेड़ लिए जाने का प्रस्ताव था।
इसी तरह साल, शीशम, साजा, अन्य इमारती पेड़ों की रजिस्ट्री के लिए अभी तक 30 हजार प्रति पेड़ शुल्क लिया जाता है। वन विभाग ने इसे बढ़ाकर 40 हजार रुपए प्रति पेड़ करने की बात कही थी। लेकिन पंजीयन मुख्यालय ने शासन के अफसरों के साथ हुई बैठक के बाद इस उपबंध में बदलाव कर दिया है।
लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं हुई। TAX बढ़ाने या घटाने से कोई परिणाम नहीं निकलने वाला था क्योंकि लोगों ने जमीन की खरीद बिक्री में पेड़ों का विवरण देना ही बंद कर दिया है। पिछले 10 सालों से पेड़ों की रजिस्ट्री में वृद्धि नहीं हुई है। इसलिए सरकार ने पेड़ों की रजिस्ट्री के टैक्स को खत्म करने का फैसला कर दिया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.