भारत में हर साल रेलवे भर्ती होती है। बड़ी संख्या में वैकेंसी ओपन की जाती है। स्वाभाविक है कि उम्मीदवार बड़ी संख्या में आवेदन भी करते हैं और परीक्षा के उपरांत जो वेटिंग लिस्ट बनती है उसमें भी उम्मीदवारों की संख्या काफी बड़ी होती है। आइए जानते हैं कि वेटिंग लिस्ट वालों को नौकरी मिलने की उम्मीद कितनी बड़ी होती है।
रेलवे के एक इंजीनियर ने बताया कि रेलवे की भर्ती प्रक्रिया, अन्य विभागों से थोड़ी अलग होती है। रेलवे की पुरानी परंपरा है, यदि रिक्त पदों की संख्या 16 है तो अधिसूचना में रिक्त पदों की संख्या 20 प्रदर्शित की जाती है। इस प्रकार रिक्त पदों की संख्या 20% बढ़ाकर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं और चयन प्रक्रिया शुरू की जाती है। रेलवे भर्ती प्रक्रिया में इसे वेस्टेज कहा जाता है।
यानी कि यदि 16 में से 4 चयनित उम्मीदवारों ने अपने पद पर ज्वाइन नहीं किया अथवा नियुक्ति की अंतिम प्रक्रिया में किसी कारण से कोई बाहर हो गया तो प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता। रेलवे भर्ती बोर्ड की रणनीति बनाने वाले अधिकारियों द्वारा पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर वेस्टेज का प्रतिशत निर्धारित किया जाता है, जो पिछले साल 20% था।
यानी कि वेटिंग लिस्ट की जरूरत नहीं पड़ती। बहुत कम होता है कि वेटिंग लिस्ट से उम्मीदवारों को नौकरी पर ज्वाइन कराने की जरूरत पड़े, क्योंकि चयनित उम्मीदवार को नियमानुसार नियुक्ति के अवसर देने पड़ते हैं और रेलवे की भर्ती प्रक्रिया में वेटिंग लिस्ट से उम्मीदवार को बुलाने की कार्यवाही भी आसान नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि कोई पद रिक्त रह जाता है और उस पर नियुक्ति अत्यंत अनिवार्य नहीं है तो उसे अगले वर्ष की भर्ती के लिए समायोजित कर दिया जाता है। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.