विविध भारती के RJ यूनुस खान बताते हैं कि मध्यप्रदेश में कटनी के पास एक छोटा-सा क़स्बा है स्लीमनाबाद। इसे कर्नल स्लीमैन ने बसाया था। उनका मक़सद था ठगों का ख़ात्मा करना। इस इलाक़े में यात्रा करने आये लोगों को ठग और पिंडारी लूट लेते थे और रेशम के रूमाल से उनका गला घोंटकर उनकी हत्या कर देते थे।
एबीपी न्यूज़ के एसोसिएट एडिटर नीरज राजपूत ने बताया कि हत्या करने के बाद लाश को वहीं दफना देते थे और फिर सभी ठग कब्र पर बैठकर गुड़ खाते थे। उन ठगों का सरदार था, बेहराम ठग, जिसे इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा हत्यारा माना जाता है।
तकरीबन 1820-1830 के आसपास कर्नल स्लीमैन को ठगी का अंत करने की ज़िम्मेदारी दी गयी। वो जबलपुर में आकर बसे थे। कहते हैं कि उन्होंने 1400 ठगों को फांसी दी थी। जो ठग आत्मसमर्पण कर देते थे, उन्हें गुरंदी ठग कहा जाता था। जबलपुर का प्रसिद्ध गुरंदी बाज़ार उन्हीं के लिए बसाया गया था।
स्लीमैन ने अपनी पुस्तक Rambles and Recollections of an Indian Official में अपनी यादों को समेटा है। स्लीमैन की याद में कटनी के पास स्लीमनाबाद में एक स्मारक भी बनाया गया है।
कर्नल विलियम हेनरी स्लीमन को लोगों ने रॉबिनहुड की तरह प्यार किया
कटनी के पत्रकार रजनीश वाजपेयी बताते हैं कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत के समय हिंदुस्तानियों को सूली पर लटकाने वाला क्रूर अंग्रेज अफसर उस समय राबिनहुड बन गया जब उसने ठगी प्रथा का दमन कर हजारों लोगों के जीवन की रक्षा की। मध्यप्रदेश के कटनी शहर में अंग्रेज अधिकारी कर्नल विलियम हेनरी स्लीमन को आज भी दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त समझा जाता है।
931 सीरियल किलिंग का विश्व रिकॉर्ड
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार 1790-1840 के बीच इन गिरोह ने 931 सीरियल किलिंग की जो कि विश्व रिकॉर्ड है। इस समस्या से निजात पाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक विशेष पुलिस दस्ता तैयार किया जिसकी कमान कर्नल हेनरी विलियम स्लीमन को सौंपी। कर्नल स्लीमन ने अपनी एलआईबी पुलिस बनाकर इन्हें न सिर्फ पकड़ा वरन सैकड़ों ठगों को मौत के घाट भी उतार दिया।
बेहराम ठग के गिरोह में 200 हत्यारे सदस्य थे
17वीं और 18वीं में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बुंदेलखंड से विदर्भ और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में ठगों का राज चलता था। जो ठगी को अपना व्यवसाय मानते थे। जब ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी गायब होने लगे, तो कंपनी ने इसका रहस्य जानने हेनरी स्लीमन भेजा। तब स्लीमन को पता चला कि 200 सदस्यों का एक ऐसा गिरोह है, जो लूट के लिए हत्या करता था। जिसका मुखिया बेहराम नाम का ठग था। लोगों के गायब होने के पीछे इन ठगों का ही हाथ था।
जबलपुर में 1400 ठगों को फांसी और उनके बच्चों का पुनर्वास
करीब 10 साल की मशक्कत के बाद बेहराम पकड़ा गया और तब सारी चीजों का खुलासा हुआ। कर्नल स्लीमन ने करीब 1400 ठगों को फांसी दी थी। ठगों के खात्मे के बाद उनके बच्चों को जीवन यापन करने अन्य व्यवसाय सिखाना आवश्यक था। जिसके लिए जबलपुर में रिफॉर्मेट्री स्कूल खोला गया था। वर्तमान में यहां पर पॉलीटेक्निक कॉलेज है। यहां ठगों के बच्चों को तरह-तरह के व्यवसाय सिखाए गए थे।
कर्नल स्लीमन कौन थे
कर्नल स्लीमन ने भारत में 1806 में बंगाल आर्मी ज्वाइन की थी। 1814-16 में नेपाल युद्ध में सेवाएं दीं और फिर 1820 में सिविल सेवा में आए बाद में उन्हें जबलपुर में गवर्नर लॉर्ड विलियम का सहायक बनाया। इसी दौरान उन्होंने बनारस से नागपुर तक सक्रिय ठगों और पिंडारियों के उन्मूलन के लिए स्लीमनाबाद में अपना कैंप लगाया। यहां उन्होंने मालगुजार गोविंद से 56 एकड़ जमीन लेकर स्लीमनाबाद बसाया था।
हरिदास मंदिर में मन्नत से हुई संतान की प्राप्ति
स्लीमन का विवाह 21 जून 1829 में एमली जोसेफिन से हुआ था। कई वर्षों तक कोई संतान न होने पर उनके किसी शुभचिंतक ने उन्हें यहां के एक गांव कोहका में बने हरिदास मंदिर में मन्नात मांगने की सलाह दी। कहा जाता है कि स्लीमन ने जब वहां प्रार्थना की तो एक साल बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई।
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