जबलपुर। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सफाई कर्मचारियों का सम्मान करते हुए दिखाई दिए थे परंतु मध्य प्रदेश शासन के अफसर, सफाई कर्मचारियों के आश्रितों को उनका अधिकार भी नहीं दे रहे। कर्तव्य का पालन करते हुए कोरोनावायरस के कारण मृत महिला सफाई कर्मचारी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा रही। हाई कोर्ट ने नोटिस जारी करके शासन से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता भोपाल निवासी संतोष डाबरे की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, जयंत पटेल, आशीष तिवारी, अरविंद सिंह चौहान व निशीष पाल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की मां साहित्य अकादमी, भोपाल में स्वीपर के पद पर कार्यरत महिला कर्मचारी थीं। सेवा के दौरान कोविड-19 से संक्रमित हो गईं, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उनका पुत्र होने के नाते अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन किया। लेकिन आवेदन दरकिनार कर दिया गया। याचिककार्ता अनुसूचित जाति का सदस्य है। उसकी मां ने 20 वर्ष तक स्वीपर के रूप में कार्य किया। कोविड के खतरे की परवाह किए बिना सफाई की दिशा में तत्पर रहीं। इसके बावजूद मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना के अंतर्गत मृत कर्मी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किया गया। इस योजना के तहत पांच लाख अनुग्रह राशि का भी प्रविधान है। जब राहत नहीं मिली तो हाई काेर्ट आना पड़ा।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना लागू है। इसके तहत यदि कोई कर्मचारी कर्तव्य के दौरान कोविड-19 का शिकार होकर मर जाता है तो उसके आश्रितों को ₹500000 अनुग्रह राशि तत्काल दी जाती है। उसके उत्तराधिकारी आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्रालय सहित संयुक्त निदेशक, संस्कृति विकास मंत्रालय व निदेशक, संस्कृति परिषद से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई चार मई को निर्धारित की गई है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.