जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि अनुकंपा नियुक्ति के आवेदनों को पेंडिंग में डाल देना अनुचित है। इससे उस शासकीय सेवक का अपमान होता है, जिसने जीवन के अनमोल वर्ष शासन की सेवा में लगाए। सरकारी कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान महत्वपूर्ण होता है। इसी के तहत आवेदन किए जाते हैं। ऐसे में आवेदनों को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन ऐसा न किया जाना चिंताजनक है।
याचिकाकर्ता ने बालिग होने पर आवेदन किया था लेकिन डिपार्टमेंट ने कोई डिसीजन नहीं किया। आवेदन को पेंडिंग कर दिया गया। इसीलिए उसे हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। उसके अधिवक्ता सुजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि याचिकाकर्ता की माली हालत ठीक नहीं है। याचिका की फीस तक जमा करने में वह असमर्थ है। इसके बावजूद उसका मुकदमा लड़ा जा रहा है। उम्मीद है कि उसे इंसाफ मिलेगा।
अनुकंपा नियुक्ति के आवेदनों को गंभीरता से लीजिए: हाईकोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने पूरी बहस सुनने के बाद याचिका का महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि नए सिरे से दिए जाने वाले आवेदन पर दो माह के भीतर नियमानुसार विचार कर समुचित निर्णय लिया जाए। ऐसा न किए जाने पर अवमानना मानी जाएगी। अवमानना याचिका दायर किए जाने पर संबंधित विभाग के अधिकारी हाजिर होंगे, तब उनको स्पष्टीकरण देना होगा। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.