इंदौर। रिटायर कर्मचारी या फिर उनकी उम्र के दूसरे नागरिकों की महीने की दवाइयां औसत ₹700 महंगी हो गई है। इस उम्र के जातक लोग हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और थायराइड से संबंधित दवाइयां खाते हैं। इस उम्र के लोग सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक दवाइयां खाते हैं। दवाइयों की कीमतों में 11% की वृद्धि की गई है।
INDIA NEWS HINDI- जो दवाइयां स्टॉक में है, पुरानी कीमतों पर ही मिलेंगी
नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने शेड्यूल दवाइयों की कीमत बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन स्पष्ट किया है कि यह मूल्य वृद्धि पेट्रोल की तरह नहीं है। बाजार में जो दवाइयां स्टॉक में है वह पुराने दामों पर ही बेची जाएंगी। 1 अप्रैल या फिर उसके बाद मैन्युफैक्चरिंग होने वाली दवाइयां नए दामों पर बेची जाएंगी। 1 अप्रैल के बाद न्यू मैन्युफैक्चरिंग मेडिसिंस भारत के आम शहरों तक पहुंचने में लगभग 3 महीने का समय लगता है। यानी कि मूल्य वृद्धि का असर अगस्त 2022 और उसके बाद दिखाई देगा।
HINDI SAMACHAR- बुढ़ापे की जरूरी दवाइयों के दाम बढ़ाए गए हैं
दवा व्यवसायी धर्मेंद्र कोठारी के अनुसार, जिन दवाइयों की कीमत बढ़ाई गई हैं, वे जरूरी दवाइयों की श्रेणी में हैं। इन्हें ही शेड्यूल दवाइयां कहते हैं। इनकी कीमत सरकार तय करती है। NPPA इनकी कीमत नियंत्रित करता है। ऐसी 750 से ज्यादा दवाइयां हैं। नॉन शेड्यूल दवा के रेट सरकार तय नहीं करती है। उनकी कीमतें बाजार पर निर्भर करती हैं।
650-700 रुपए महीने तक बढ़ेगा खर्च
जानकारों के अनुसार जिन परिवारों में ब्लडप्रेशर, हार्ट से संबंधित मरीज हैं। ऐसे में दो लोगों (वृद्ध दंपति) की दवाइयों पर प्रतिमाह छह हजार का औसत खर्च आता है। उन्हें अब 650 से 700 रुपए ज्यादा खर्च करना होंगे। दवा कारोबारियों का कहना है कि दो साल बाद रेट बढ़े हैं। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया INDIA NATIONAL NEWS पर क्लिक करें.