भोपाल। शासन स्तर पर फैसला लिया गया था कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के साथ ही नगर निगम में उसके नामांतरण की प्रक्रिया पूरी की जाए, लेकिन रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री के साथ नामांतरण का काम अपने हाथ में लेने से मना कर दिया। काफी सोच-विचार के बाद अब यह प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है।
नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने डायरेक्टर जनरल रजिस्ट्रार सेल्वेंद्म से चर्चा की और सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से शुल्क जमा करने का सुझाव दिया, जिस पर सहमति बन गई है। जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी हो जाएंगे। रजिस्ट्री के समय प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने वाले दोनों एक साथ मौजूद रहते हैं, इसलिए नामांतरण आसानी से हो सकता है।
आमतौर पर लोग नगर निगम में नामांतरण नहीं कराते, जबकि यह नियम अनुसार जरूरी है। संपत्ति कर के 4.5 लाख खातों में से कम से कम 1 लाख खाते ऐसे होंगे जिनके नामांतरण होना है। नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कॉलसानी का कहना है की रजिस्ट्री के समय नामांतरण होने से कम से कम नए मामले पेंडिंग नहीं होंगे और निगम को आय भी होगी। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें।