मजिस्ट्रेट कब परिवाद को खारिज कर आरोपी को दोष मुक्त कर सकता है- CrPC 1978 section 245

जब किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई व्यक्ति डायरेक्ट शिकायत करता है तब अधिकृत न्यायिक मजिस्ट्रेट दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 244 के अंतर्गत अभियोजन साक्षियों की परीक्षा करेगा एवं आरोपी पर लगाए गए सभी आरोप के साक्ष्य को भी मंगवाएगा। अगर मजिस्ट्रेट को लगता है कि शिकायतकर्ता (परिवादी) के पास कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे वह आरोपी के अपराध को साबित कर सके तब मजिस्ट्रेट अरोपी को किस कानून के अंतर्गत उन्मोचित करेगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 245 की परिभाषा:-

जब कोई मजिस्ट्रेट अभियोजन (फरियादी) पक्ष के सभी सबूतों को देख लेगा एवं साक्षियो की गवाही करवा लेता है, तब आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है, जिससे कि आरोपी का अपराध साबित किया जा सके तब मजिस्ट्रेट परिवाद को खारिज कर देगा एवं आरोपी को उन्मोचित (मुक्त) कर देगा।

विशेष नोट:- इस धारा में आरोपी को उन आरोपों से मुक्त किया जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं शिकायत की गई है। अगर कोई FIR अर्थात पुलिस रिपोर्ट के अंतर्गत कोई मामला मजिस्ट्रेट के पास आता है तब यह धारा वहां लागू नहीं होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!