असंज्ञेय अपराध (ऐसे अपराध जो गंभीर प्रकृति के नहीं होते) के मामले में आरोपी के खिलाफ अपराध को प्रमाणित करने के पर्याप्त सबूत उपलब्ध है लेकिन यदि पीड़ित व्यक्ति अनुपस्थित हो जाता है तो क्या उसकी अनुपस्थिति यह कारण केस को क्लोज किया जा सकता है। यह पढ़ते हैं कानून क्या कहता है:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 249 की परिभाषा:-
जब किसी असंज्ञेय या समझौता (शमन) योग्य मामले में परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तब मजिस्ट्रेट समन द्वार पीड़ित व्यक्ति को सुनवाई के लिए बुलाता है। अगर पीड़ित व्यक्ति सुनवाई के समय बिना कारण या जानबूझकर कर अनुपस्थित रहता है तब मजिस्ट्रेट आपने विवेकाधिकार द्वारा आरोपी को छोड़ (उन्मोचित) सकता है।
लेकिन अगर किसी ठोस या वैध कारण से पीड़ित व्यक्ति अनुपस्थित रहा है तब मजिस्ट्रेट कार्यवाही को आगे बड़ा सकता है एवं आरोपी को उन्मोचित नहीं करेगा। यानी कि यदि पीड़ित व्यक्ति न्यायालय में अपनी अनुपस्थिति का कारण नहीं बताता तो उसकी अनुपस्थिति को आरोपी व्यक्ति के साथ समझौता मानते हुए केस क्लोज कर दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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