भारत में हर रोज हजारों लोग झूठी शिकायत करते हैं। सरकार का समय बर्बाद होता है और आरोपी व्यक्ति बिना वजह परेशान होता है। शिकायत के कारण लोग उसे संदेह की नजर से देखते हैं। ज्यादातर लोग शिकायतकर्ता को माफ कर देते हैं परंतु झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति को दंडित किए जाने का प्रावधान भी है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धार 250 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति पुलिस को या मजिस्ट्रेट को ऐसी सूचना देता है या FIR दर्ज करवाता है जिसका कोई उचित सबूत नहीं है एवं जिससे आरोपी व्यक्ति का अपराध साबित नहीं हो सकता है तब ऐसे पीड़ित या शिकायतकर्ता व्यक्ति पर मजिस्ट्रेट प्रतिकर (मुआवजा) लगा सकता है का प्रतिकर के आदेश देगा।
अगर परिवादी, आरोपी या एक से अधिक आरोपियों को प्रतिकर देने से इनकार करता है तब उसे तीस दिन के कारावास के लिए भेज दिया जाएगा एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 68 एवं धारा 69 के नियम लागू होंगे अर्थात जुर्माने नहीं चुकाने के लिए जुर्माने (प्रतिकर, मुआवजा) के बदले सजा का प्रावधान होगा जो उपर्युक्त सजा 30 दिन से अतिरिक्त होगी।
• शिकायतकर्ता अर्थात परिवादी को एक माह के भीतर अधीनस्थ अपीलीय न्यायालय में अपील करने का अधिकार भी होगा एक माह के बाद नहीं।
उपर्युक्त धारा से यह बात स्पष्ट होती है कि किसी ठोस साक्ष्य अगर मौजूद है तभी पुलिस रिपोर्ट या मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज करवाये अन्यथा आरोपी को पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देना होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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